राजस्थान के अलवर जिले के बहरोड़ थाने में बदमाशों द्वारा एके-47 से किए गए हमले और हरियाणा के कुख्यात बदमाश विक्रम उर्फ पपला को छुड़ा कर ले जाने की घटना ने प्रदेश की लचर कानून व्यवस्था पर करारा तमाचा मारा है। पिछले कई महीनों से गहलोत सरकार में पुलिस तंत्र की कार्यप्रणाली की चहुंओर निंदा की जा रही थी। अब पुलिस को खुलेआम चुनौती देते हुए उन पर फायरिंग करना और फिल्मी स्टाइल में अपने साथी को छुड़ाकर ले जाने की घटना के बाद गहलोत सरकार बैकफुट पर आ गई है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए डीजीपी डॉ. भूपेंद्र यादव बहरोड़ पहुंचे और शुक्रवार से बहरोड़ में ही डेरा डाले हुए हैं। वहीं इसकी जांच एसओजी के एएसपी करण शर्मा को सौंपी गई है।

सूत्रों के अनुसार पुलिस ने पपला को फरार कराने में मदद करने वाले कुछ बदमाशों को हिरासत में लिया है, हालांकि अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है। पुलिस और अन्य स्पेशल टीमें आरोपियों की सुराग में लगी हुई है। डीजीपी भूपेन्द्र सिंह स्वयं हरियाणा पुलिस के आला अधिकारियों के साथ चर्चा कर रहे है। पुलिस की कई टीमें बनाकर हरियाणा भेजी गई है। पुलिस को अहम सुराग मिलने की बात भी कही जा रही है। गौरतलब है कि गुरुवार रात को हरियाणा का कुख्यात गैंगस्टर पपला गुज्जर 30 लाख रुपए नकदी और हथियारों के साथ राजस्थान में पकड़ा गया था। लेकिन कुछ ही घंटे बाद शुक्रवार सुबह उसकी गैंग ने बहरोड़ पुलिस स्टेशन पर हमला कर उसे छुड़ा लिया।

मुखबिर की सूचना पर ही पपला गैंग ने रची साजिश

जानकारी के अनुसार पपला के पकड़े जाने के बाद पुलिस का ही कोई व्यक्ति है जिसने इस गैंग को पपला के बारे में जानकारी दी। क्योंकि गैंग ने हमला उस समय किया जब अधिकतर जवानों का ड्यूटी बदलने का समय था। सुबह रात्रि गश्त के बाद कुछ पुलिसकर्मी सो रहे थे। कुछ पुलिसकर्मी अपने नहाने धोने में व्यस्त थे। किसी के पास हथियार मौजूद नहीं थे। पुलिस अब इस तफ्तीश में जुटी है कि आखिरकार वो कौन मुखबिर है जिसकी वजह से बदमाशों ने थाने पर हमला करने की साजिश रची।