कांग्रेस पार्टी राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर कार्यकर्ताओं को एकजुट व मजबूत करने के लिए ‘मेरा बूथ मेरा गौरव’ अभियान का सहारा ले रही है। हाल ही में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट ने अभियान के पूरे होने के बाद इसकी सफलता पर खुशी जाहिर की है। कांग्रेस नेताओं का मानना है कि अभियान ने उनके निष्क्रिय कार्यकर्ताओं में फिर से जोश भर दिया है। जबकि अभियान की हकीकत कुछ ओर बयां करती है। कांग्रेस के इस अभियान की जमीनी स्तर पर पड़ताल की गई तो कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आयी। आइए जानते हैं कि सचिन पायलट के इस अभियान के बारे में किए गए दावे कितने सच और कितने झूठ हैं-
दावा- अभियान के तहत बूथ स्तर तक पहुंचकर कार्यकर्ताओं को मजबूती प्रदान की है। हकीकत- ‘मेरा बूथ मेरा गौरव’ अभियान का उद्देश्य तो जमीनी स्तर पर पहुंचकर बूथ कार्यकर्ताओं को मजबूती देना ही था। लेकिन हकीकत में पार्टी से नाराज चल रहे कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रम के जरिए अपना गुस्सा बड़े पदाधिकारियों व नेताओं तक पहुंचाया । बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं की नाराजगी से प्रदेश नेतृत्व की चिंताएं बढ़ गई है।
दावा- अभियान में कार्यकर्ताओं व नेताओं में थोड़ी-बहुत नाराजगी थी, जिसे हमने दूर कर दिया है।
हकीकत- ‘मेरा बूथ मेरा गौरव’ अभियान पूरी तरह से गुटबाजी के अखाड़े में तब्दील होता नजर आया है। कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं में गुस्सा व टिकट के दावेदारों के बीच गुटबाजी सबके सामने खुलकर आ गई है।
निष्कर्ष- कांग्रेस जिस कार्यक्रम को सत्ता में वापसी के लिए संजीवनी समझ रही थी, वो अब पार्टी के लिए आफत बन गया है। कार्यक्रम के दौरान ही कांग्रेसी कार्यकर्ता व नेता आपस में उलझते हुए नजर आ रहे हैं। बहस से शुरू हुआ विवाद मारपीट व लात- घूसों तक पहुंच चुका है। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता से लेकर कई दिग्गज नेता इस झगड़े का शिकार हो चुके हैं। अतः कांग्रेस के नेताओं की बढ़ती आपसी लड़ाई व गुटबाजी से साफ जाहिर है कि सचिन पायलट के द्वारा किए गए ‘मेरा बूथ मेरा गौरव’ अभियान की सफलता के बारे में किए गए सभी दावे 80 प्रतिशत तक झूठे हैं।