राजस्थान में गहलोत सरकार द्वारा पिछली भाजपा सरकार की योजनाओं को बदलने के क्रम में अब अन्नपूर्णा रसोई योजना भी शामिल हो गई है। जरूरतमंदों को कम कीमत पर तीनों समय का स्वादिष्ट नाश्ता व भोजन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ने अन्नपूर्णा रसोई योजना संचालित की थी। अब गहलोत सरकार अन्नपूर्णा रसोई योजना में बड़े बदलाव करने की तैयारी में है। स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल ने इस योजना में सुधार करने और इसे अधिक व्यापक बनाने के लिए स्वायत्त शासन विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। चेन्नई में चलने वाली अम्मा योजना की तर्ज पर अब अन्नपूर्णा रसोई योजना में वैन की जगह कैंटीन के माध्यम से लोगों को ताजा व गर्म भोजन मिलेगा।
वसुंधरा सरकार ने जरूरतमंदों के लिए योजना की थी संचालित
गौरतलब है कि प्रदेश की पिछली वसुंधरा सरकार ने जरूरतमंद लोगों को कम लागत पर स्वादिष्ट भोजन देने के उद्देश्य से सभी 191 शहरों में अन्नपूर्णा रसोई योजना शुरू की थी। जिसमें रसोई वैन के जरिए 495 सार्वजनिक स्थानों पर लोगों को सुबह के समय 5 रु में नाश्ता और दिन व शाम को 8 रु में भोजन उपलब्ध कराया जाता है। इस योजना पर सरकार की ओर से हर वर्ष 240 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
अम्मा योजना इन वजहों से है अधिक बेहतर
गहलोत सरकार ने दक्षिण में चल रही इस तरह की विशेष योजनाओं को समझने की जिम्मेदारी तीन आईएएस अफसरों को सौंपी थी। तमिलनाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता ने सबसे पहले गरीबों को खाना देने के उद्देश्य से अम्मा योजना शुरू की थी जिसे देशभर में सराहना मिल रही है। सरकार द्वारा निरीक्षण के लिए भेजे गए अफसरों ने अम्मा योजना का परीक्षण कर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है जिसमें बताया गया कि वहां लोगों को स्थाई जगह यानी कैंटीन में गर्म भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। कैंटीन में भोजन देने से जरूरतमंद लोग वहां पहुंच जाते हैं और मांग के अनुसार खाना बनाया जाता है। इस मॉडल में स्वयंसेवी सहायता समूहों की स्थानीय महिलाओं को खाना बनाने की जिम्मेदारी देते हुए रोजगार भी दिया जा रहा है। संभावना जताई जा रही है कि सरकार जल्द ही अम्मा योजना की तर्ज पर अन्नपूर्णा रसोई योजना में अहम बदलाव कर सकती है।