26 अप्रैल को हुए अलवर में गैंग रेप घटना को लेकर राजस्थान पुलिस पर गंभीर आरोप लगा। कि चुनावों के मद्देनज़र पुलिस ने ढिलाई बरती, मामले को दबाया और फिर आरोपियों ने सर्वाइवर और उसके पति का वीडियो इंटरनेट पर डाल दिया। ये उसी वीडियो का स्क्रीनशॉट है।
पहले एक बाइक हमारे पीछे आई। थोड़ी देर बाद दूसरी बाइक भी आ गई। हमें तब उनके इरादों की भनक नहीं लगी थी। फिर उन्होंने हमें ओवरटेक किया और हमारा रास्ता रोककर खड़े हो गए। पहले उन्होंने हमारा नाम पूछा। फिर हमारे पिता का नाम पूछा। फिर हमारी जाति पूछी। हमने कहा, हम दलित हैं। उन्होंने कहा, दलित हैं तो हमारा क्या बिगाड़ लोगे?
किसी फ़िल्म की कहानी नहीं अलवर में गैंग रेप की हक़ीकत है
ये अलवर में गैंग रेप पीड़ित की ज़ुबानी है। ये एक असहाय लाचार और बेबस दंपत्ति की कहानी है। जिसे समाज और राजनीति ने और ज़्यादा भयावह बना दिया है। ये सब उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया। अख़बार में साक्षी दयाल की बाइलाइन से ये खबर छपी। ये अलवर में 26 अप्रैल को हुई वारदात का ज़िक्र है। जिसमें एक 19 साल की लड़की के साथ गैंगरेप किया गया। वो भी उसके 22 साल के पति के सामने। लड़की की ससुराल में एक रिश्ते के देवर की शादी थी। इसी में पहनने के कपड़े खरीदने वो अपने पति के साथ बाज़ार जा रही थी। दोपहर तीन बजे दोनों बाइक से मार्केट जाने निकले। रास्ते में छह लोगों ने उन्हें रोक लिया। वो दो मोटरसाइकिलों पर सवार थे। पीड़िता कहती है…
उन्होंने पूछा कि क्या हम शादीशुदा हैं? हमने बताया कि हम पति-पत्नी हैं। फिर उन्होंने हमें दबोचा और घसीटकर टीले के पीछे ले गए। हम बार-बार कहते रहे कि हम शादीशुदा हैं। हमने अपने गांव का नाम बताया। उनके आगे गिड़गिड़ाते रहे कि वो फ़ोन करके हमारे रिश्तेदारों से बात कर लें। मगर वो ना माने ना ही रुके। बलात्कार के दौरान मैं होश में तो थी, लेकिन ऐसी हालत नहीं थी मेरी कि खड़ी हो सकूं या उनसे लड़ सकूं। उन पांचों ने बारी-बारी से मेरा बलात्कार किया। वहां एक छठा आदमी भी था, जो इस सबका वीडियो बना रहा था। जब उन्होंने बलात्कार कर लिया, तो फिर उन्होंने मेरे पति को मेरे साथ सेक्स करने को कहा। इसका भी वीडियो बनाया।
लड़की की मां ने बेटी-दामाद से कहा, किसी को मत बताओ
अलवर में गैंग रेप घटना के बाद शाम के तकरीबन पांच बजे उन्होंने हमें छोड़ा। लड़की के पति के पास दो हज़ार रुपये थे। आरोपियों ने वो छीना और धमकाते हुए कहा। अगर किसी को भी इस वारदात के बारे में बताया या पुलिस में गए। तो उनका वीडियो इंटरनेट पर डाल देंगे। इसके बाद लड़की अपनी ससुराल नहीं गई। सीधे अपने मायके जाकर मां को सब बताया…
मां ने मेरे पति और मुझसे बात की। कहा कि हम ये बात किसी को न बताएं, खुद तक रखें। क्योंकि उन गुंडों के पास हमारा वीडियो था। इसके बाद मैं पति के साथ ससुराल लौट आयी। मैंने अपने कपड़े धोये और खुद को साफ़ किया।
गैंगरेप के दो दिन बाद आरोपी ब्लैकमेल करके पैसे मांगने लगे
इस बात को दो दिन बीत गए। 28 अप्रैल को आरोपियों ने लड़की और उसके पति को फोन करना शुरू किया। वो ब्लैकमेल कर रहे थे। कह रहे थे कि अगर 10 हज़ार रुपये नहीं दिए, तो वीडियो डाल देंगे। इसके बाद जाकर लड़की ने इस वारदात के बारे में अपने जेठ से बात की। उसके जेठ ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया…
मैंने तुरंत ही उस आदमी को अपने मोबाइल से फोन किया। मैंने उससे कहा कि अगर उन्हें किसी किस्म की बात करनी है, तो मुझसे करें। मेरे भाई को फोन न करें। मेरा भाई वैसे भी अपनी क्लासेज़ के लिए जयपुर में था। शुरुआत में मैंने सोचा कि उन लोगों को पैसा देकर वो वीडियो डिलिट करवा लूं। मगर जब मैंने अपने ऑफिस के सहयोगी को ये बात बताई, तो उसने कहा मैं पुलिस के पास जाऊं। उसने कहा कि वो बार-बार पैसे मांगते रहेंगे, तो इतने पैसे मैं कहां से दूंगा। तब जाकर मुझे लगा कि वो सही कह रहा है।
अगर पुलिस समय पर कार्रवाई करती, तो वीडियो इंटरनेट पर नहीं पहुंचता
29 अप्रैल को पुलिस में शिकायत करने से पहले ये बात लड़की के सास-ससुर को बताई गयी। 30 अप्रैल को पुलिस में शिकायत की गयी। लड़की के रिश्तेदारों का कहना है कि बार-बार पुलिस के पास जाने के बाद भी दो दिनों तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। लड़की के जेठ का कहना है…
2 मई को पुलिस ने FIR दर्ज़ की। हमने वारदात वाले इलाके के लोगों से बात करके आरोपियों की पहचान भी की। हमने पुलिस को उनके बारे में बताया भी, मगर उन्हें गिरफ़्तार नहीं किया गया। 4 मई को मेरे मोबाइल पर वो वीडियो आया। शुरू में तो मुझे यकीन ही नहीं हुआ कि उन लोगों ने वीडियो जारी कर दिया। मगर जब मैंने उस पर क्लिक किया, तो समझ आया कि सच में ऐसा हुआ है। ये वही वीडियो था, जो उन्होंने घटना वाले दिन बनाया था। मैं वो वीडियो लेकर पुलिस के पास गया, मगर पहली गिरफ़्तारी 7 मई को हुई। अगर FIR दर्ज़ करवाए जाने के बाद पुलिस कुछ करती, तो वो वीडियो जारी ही नहीं होता।
पुलिस ने अलवर में गैंग रेप मामले को जानबूझकर दबाया?
इस केस में पुलिस के ऊपर जानबूझकर केस को दबाने का इल्ज़ाम है। चुनाव को देखते हुए ऐसा किया। वो तो जब वीडियो वायरल हुआ और ये मामला खुला, तब जाकर पुलिस ने हाथ-पैर हिलाए। नरेंद्र मोदी ने अपनी एक चुनावी रैली में इसका ज़िक्र कर दिया। फिर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राहुल गांधी और सचिन पायलट पीड़ितों से मिलने पहुंचे। प्रशासन ने अलवर के SP और संबंधित थाने के प्रभारी को हटा दिया। छह के छह आरोपी अरेस्ट हो गए हैं। पांच रेप के इल्ज़ाम में और एक इसका वीडियो वायरल करने के आरोप में। गिरफ़्तारी भले हो गई हो, मगर वो वीडियो फैल चुका है। ये बात नहीं बदली जा सकती। एक जोड़े ने पहले अपने साथ हुआ अपराध झेला। अब वो इस अपराध का वीडियो दुनिया-जहान के पास पहुंच जाने की दहशत झेल रहे होंगे। लड़की की तकलीफ़ का अंदाजा इस बात से लगाइए…
एक टाइम तो ऐसा था कि मेरे लिए बिस्तर से निकलना भी मुश्किल था। मेरे दिमाग़ में हर समय बस यही चलता रहता था कि मेरे साथ क्या कुछ हो गया। वो बार-बार मेरे जेहन में घूमता। मगर फिर मैंने ख़ुद पर जोर दिया। ख़ुद को वापस सामान्य करने की कोशिश की। इतने पर भी जब मैं रात को सोने के लिए बिस्तर पर लेटती हूं, तो वो वारदात दिमाग़ में लौट आती है। सोना मुश्किल हो जाता है।
अभी अलवर में गैंग रेप मामले में क्या चल रहा है?
इस मामले में एक ताज़ा अपडेट ये है कि सरकार ने पीड़िता को राजस्थान पुलिस में कॉन्स्टेबल की नौकरी देने का ऑफर दिया है। ‘द प्रिंट’ की रिपोर्ट के मुताबिक, कागज़ी कार्रवाई पूरी कर ली गई है। 10 से 15 दिनों में नियुक्ति के कागज़ आने की उम्मीद है। लड़की का परिवार इस प्रस्ताव से खुश है। लेकिन क्या इस नौकरी से पीड़िता की खोई हुई इज्ज़त और टुटा हुआ आत्मविश्वास लौट आएगा? वो बेचारी यही सोचती होगी? जब तक आरोपियों को कम से कम मौत की सजा नहीं मिल जाती। उसके तड़फते हुए मन को शांति नहीं मिलेगी।
वो काला दिन रह-रह कर उसकी आँखों के सामने आ जाता होगा। लेकिन ये राजनेता और अँधा क़ानून इस बात को क्या समझ पायेगा। वो सिर्फ़ अपने अपने हिसाब से राजनीति करने में लगे हुए हैं। वरना भाजपा का एक भी नेता पीड़ितों से जाकर नहीं मिला। गहलोत, पायलट और राहुल गांधी भी सिर्फ़ इसलिए जाकर मिले क्योंकि उनकी सरकार है। नहीं तो लोग थू-थू करते।
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