आज प्रदेश की राजधानी जयपुर में अशोक गहलोत और सचिन पायलट ने अपने-अपने पद एवं गोपनीयता की शपथ ग्रहण कर ली है। महामहिम राज्यपाल कल्याणसिंह ने उन्हें शपथ दिलायी। कहने का मतलब है कि आज से सोमवार दिनांक 17 दिसम्बर, 2018 से राजस्थान में सत्ता परिवर्तन हो गया है और नई कांग्रेस सरकार विराजमान हो चुकी है। इस तरह से 10 दिनों का काउंटडाउन शुरु हो गया है। काउंटडाउन, लेकिन किस बात का! अजी जरा ठहरिए तो सही, बताते हैं… बताते हैं।
आज से ठीक 15 दिन पहले इसी मरुभूमि की सरजमीं पर किसे ने यह घोषणा की थी, ‘कांग्रेस के सरकार बनने के ठीक 10 दिन, यानि 1 2 …10 दिन में किसानों का पूरा कर्ज माफ कर दिया जाएगा। यह हमारा वायदा है।’ समझ ही गए होंगे किसने किया यह वादा। असल में हजारों किसानों व प्रदेशवासियों के समक्ष यह वायदा किया था कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने। अब आज राजस्थान में अशोक गहलोत एवं सचिन पायलट क्रमश: मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री की शपथ ग्रहण कर चुके हैं। आज ही भोपाल में कमलनाथ मध्य प्रदेश और भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के सीएम की शपथ लेंगे। मतलब राजस्थान सहित मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में भी आज से कांग्रेस सरकार सत्ता के सिंहासन पर विराजमान हो जाएगी। अब आज से ठीक 10 दिन बाद यानि 26 दिसम्बर को राजस्थान सहित अन्य तीनों राज्यों में किसानों को राहुल गांधी व स्थानीय सरकारों की ओर से क्रिसमस का तोहफा पक्के तौर पर मिल ही जाएगा।
किसानों की कर्जमाफी की बात करें तो फिलहाल राजस्थान सहित मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ तीनों राज्य मिलकर कृषि पर कुल 35,900 करोड़ रुपए खर्च करते हैं। अगर तीनों राज्यों में किसानों का केवल एक-एक लाख रुपए का कर्ज भी माफ किया जाए तो भी सरकार को तकरीबन 41 हजार करोड़ रुपए की जरुरत होगी। इस तरह राजस्थान में 21,900 करोड़, एमपी में 15,800 करोड़ व छत्तीसगढ़ में कर्जमाफी के लिए 2,700 करोड़ रुपए खर्च करने होंगे। वहीं अगर केवल राजस्थान में करीब 3 लाख किसानों का पूरा कर्ज माफ किया जाता है तो राज्य सरकार को 99 हजार करोड़ का मोटा पैसा अपनी जेब से खर्च करना होगा।
कर्जमाफी के संबंध में कुछ और आंकड़ों के लिए ज्यादा पीछे नहीं जाना पड़ेगा। हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने प्रदेश में किसानों को 50 हजार रुपए तक की फसली ऋणमाफी दी थी। इस पूरे प्रकरण में राज्य सरकार पर करीब साढ़े 9 हजार करोड़ का वित्तीय भार आया है। ऐसे में राहुल गांधी सहित नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एवं डिप्टी सीएम सचिन पायलट के लिए कर्जमाफी टेड़ी खीर साबित न हो जाए। या फिर ऐसा भी हो सकता है कि माननीय राहुलजी इस मामले को लोकसभा चुनावों से ही जोड़ अपना पीछा छुड़वाने की कोशिश करें जिसके आसार ज्यादा लग रहे हैं।
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