जयपुर, 6 फरवरी। राजस्थान ललित कला अकादमी की ओर से व जेकेके की सहभागिता में आयोजित किए जा रहे 23वें कला मेले में सोमवार को विजिटर्स को डोगरा आर्ट के जरिए लाइव मेटल आइटम बनते देखने को मिले। शिल्पग्राम में बिहार के आर्टिस्ट विनोद पंडित द्वारा डोगरा आर्ट का लाइव डेमोंस्ट्रेशन दिया गया, जिसमें ऑन स्पॉट डोगरा आर्ट के जरिए अलग—अलग कांस्य की वस्तुएं बनाई गईं। इसके तहत सबसे पहले रॉ मैटेरियल को भट्टी में करीब 1400 डिग्री टेम्परेचर कर दो घंटे पकाकर पिघलाया गया। इसके बाद गुड़ मिश्रित बालू मिट्टी में सांचे बनाकर इस पिघली हुए मैटेरियल को डाला गया और खूबसूरत आकृतियां तैयार की गईं।
डोगरा आर्ट, जो कि गुड़ व बालू मिट्टी को मिश्रित कर बेहद बारीकी से गूंथा जाता है, फिर बॉक्स में डालकर छापा मारा जाता है। और उस आकृति से मूर्ति बनाई जाती है। सदियों पुरानी इस कला के जरिए सबसे पहले नटराज की मूर्तियां बनाई जाती थी और फिर इसके बाद राम, कृष्ण व शिव की मूर्तियों सहित अन्य मूर्तियां बनाई जाने लगीं। डोगरा आर्ट का सबसे नायाब उदाहरण नटराज की मूर्तियां है। इसी वजह से यह कला हर घर तक पहुंची है और इसे पहचान मिली है। एक वक्त था जब कलाकारों की आय का साधन डोगरा आर्ट के माध्यम से बनी मूर्तियां होती थीं।
ललित कला अकादमी के अध्यक्ष व मूर्तिकार लक्ष्मण व्यास ने जानकारी दी कि आज यह कला पूरी तरह से लुप्त होने के कगार पर है। इस कला के बहुत ही कम कलाकार बचे हैं, क्योंकि इसकी जगह इटेलियन लॉस्ट वैक्स प्रोसेस ने ले ली है। साथ ही मेटल महंगा होने की वजह से यह प्राचीन कला विलुप्त होती जा रही है। इसके विलुप्त होने का सबसे बड़ा नुकसान आदिवासियों व ग्रामीण अंचल के कलाकारों को हुआ है। वे मूर्तियां बनाकर पर्यटकों को लुभाते थे, जिनके पास इस कला के माध्यम से होने वाली आय ही उनके जीवनयापन का मुख्य साधन होती थी। हमारा प्रयास है कि हमें इन लुप्त होते हुए कलाकारों के लिए नई योजनाएं लाएं, ताकि यह प्राचीन कला विलुप्त ना हो और आने वाली पीढ़ी भी इस कला के बारे में जान पाएं।
राजस्थान ललित कला अकादमी के अध्यक्ष लक्ष्मण व्यास ने बताया कि यह अत्यंत जटिल प्रक्रिया है, इसका डेमोंस्ट्रेशन कलाप्रेमियों के लिए एक नया अनुभव साबित हुआ। देश की इस प्राचीन कला के प्रति युवाओं को जागरूक करना सैंड कास्टिंग वर्कशॉप का मुख्य उद्देश्य है। कला मेले के तहत सोमवार को कला संवाद में प्रो. चिन्मय शेष मेहता व प्रो. जयराम पोडवाल ने कला और इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विचार—विमर्श किया।
पोस्टर प्रतियोगिता में साकार हुई चिरंजीवी सहित राज्य सरकार की विभिन्न योजनाएं
कला मेले के तहत सोमवार को कॉलेज स्टूडेंट्स के लिए ‘राज्य सरकार की योजनाएं’ विषय पर पोस्टर मेकिंग प्रतियोगिता आयोजित की गई। इसमें राजस्थान के करीब 15 कॉलेजों के स्टूडेंट्स द्वारा 125 से अधिक पोस्टर बनाए गए। इनमें प्रतिभागियों ने मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना, बेटी बचाओ—बेटी पढ़ाओ, किसान ट्रैक्टर, स्कूटी वितरण, आवास योजना, अन्नपूर्णा व इंदिरा रसोई जैसी योजनाओं को रंगों के जरिए साकार किया गया। इनमें चिरंजीवी योजना के प्रति काफी उत्साह देखने को मिला और सबसे ज्यादा पोस्टर इसी योजना पर बनाए गए। राजस्थान ललित कला अकादमी के सचिव डॉ. रजनीश हर्ष ने बताया कि इनके पांच विजेताओं को कला मेले के समापन पर 3—3 हजार रुपए का नगद पुरस्कार दिया जाएगा। मंगलवार को ‘मतदान जागरूकता’ विषय पर पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी।
सांस्कृतिक संध्या के तहत डीग के अशोक शर्मा ग्रुप की ओर से प्रस्तुति दी गई। ग्रुप के 11 सदस्यों द्वारा बृज वंदना, बृजराज मयूर डांस की प्रस्तुतियां दी गई और फूलों से बृज होली भी खेली गई।
पुरुषोत्तम शर्मा