जयपुर। राजस्थान में भाजपा के मुख्यमंत्री चेहरे पर मची खींचतान के बीच पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपनी दावेदारी को मजबूती देने के लिए अभियान शुरू कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का बीकानेर दौरा खासा चर्चा में है। चर्चा इसलिए है कि उनका यह दौरा पार्टी की तरफ से घोषित कार्यक्रम नहीं था। वसुंधरा ने इसे देव दर्शन के लिए निजी टूर बताया था। विश्नोई समाज के मुकाम और करणी माता मंदिर में दर्शन के साथ राजे ने अपनी राजनीतिक क्षमता का भी शक्ति प्रदर्शन किया।
किसी भी काम के लिए संघर्ष करना पड़ता
नोखा, देशनोक और बीकानेर शहर में सभाओं में समर्थकों की भीड़ को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि मेरा कोई भी काम सीधे-सीधे नहीं होता, संघर्ष करना पड़ता है। अब मुहर लग गई है। अब कोई रोक नहीं सकता। वसुंधरा के कार्यक्रम से बीकानेर भाजपा संगठन पूरी तरह से दूर रहा, लेकिन जिस मकसद को राजे हासिल करना चाहती थीं, वो इस दौरे ने पूरा कर दिया।
प्रदेश में अभी कायम है दबदबा
माना जा रहा है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में खुद को मुख्यमंत्री की दौड़ में होने का मैसेज देना। साथ ही यह बताना कि उनके सामने बाकी चेहरे कोई खास मायने नहीं रखते। वसुंधरा ने केंद्रीय नेतृत्व से लेकर स्थानीय संगठन तक यह बात पहुंचा दी कि उनका अभी भी प्रदेश के सुदूर इलाकों में दबदबा कायम है। उनके लिए समर्थकों की फौज हर जगह तैयार है।
करणी माता का आशीर्वाद, मेरा काम सफल होगा : वसुंधरा
वसुंधरा राजे बेटे दुष्यंत के साथ विशेष हेलीकॉप्टर में देशनोक पहुंची और करणी माता मंदिर में आधा घंटा पूजा की। दर्शन के बाद जनसंवाद कार्यक्रम में उन्होंने कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि महाराजा गंगा सिंह जब भी करणी माता का आशीर्वाद लेने आते थे, तब सफेद चूहा देखने के बाद ही आगे बढ़ते थे। उनका काम सफल होता था। माता का आशीर्वाद आज मुझे भी मिल गया है। जब भगवान का आशीर्वाद साथ है तो रास्ते में कौन खड़ा हो सकता है।
सांसद, विधायक और कई पूर्व एमएलए साथ में
बीकानेर के दौरे में राजे के साथ उनके पुत्र झालावाड़-बारां सांसद दुष्यंत सिंह के अलावा श्रीगंगानगर सांसद निहालचंद मेघवाल, चूरू के पूर्व सांसद रामसिंह कस्वा, सांसद राहुल कस्वा, बाड़मेर के पूर्व सांसद कर्नल सोनाराम, राज्यसभा के पूर्व सदस्य रामनारायण डूडी, भाजपा के पिछले कार्यकाल में मंत्री रहे श्रीचंद कृपलानी, मौजूदा विधायक और पूर्व मंत्री पुष्पेंद्र सिंह राणावत, प्रतापसिंह सिंघवी, बिहारी लाल विश्नोई, सिद्धी कुमारी, पूर्व संसदीय सचिव विश्वनाथ मेघवाल जैसे नेता बीकानेर में जुटे थे। यह सभी नेता अलग-अलग जिलों से हैं।
राजस्थान में दो साल से चल रहा ‘कुर्सी का खेल’
वसुंधरा ने इस दौरान गहलोत सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि पिछले 4 सालों में राजस्थान विकास के मामले में पिछड़ गया है। सरकार 2 साल तक पूरी तरह से कोरोना महामारी से बाहर नहीं निकली और अब 2 साल से कुर्सी का खेल चल रहा है। सब्र का फल मीठा होता है। जल्द ही प्रदेश में समय बदलने वाला है।
सराफ, युनूस, राजपाल और परनामी ने संभाली कमान
राजे के बीकानेर पहुंचने के तीन दिन पहले से ही भीड़ जुटाने के लिए फील्ड मैनेजमेंट चल रहा था। इसके लिए उनके विश्वस्त मानें जाने वाले पूर्व मंत्री युनूस खान, राजपाल सिंह शेखावत, कालीचरण सराफ और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अशोक परनामी तैयारियों में जुटे हुए थे। बताया जा रहा है कि 6 से 8 अक्टूबर तक बीकानेर शहर के सभी 80 वार्डों में बैठकें की गई। बीकानेर में जूनागढ़ के सामने हुई सभा की तैयारियों का जिम्मा पूर्व मंत्री कालीचरण सराफ और राजपाल सिंह शेखावत के पास था, वहीं मुकाम में हुए कार्यक्रम का पूरा जिम्मा पूर्व मंत्री युनूस खान ने संभाला। देशनोक में हुई सभा की सारी तैयारी भाजपा से निष्कासित पूर्व मंत्री देवीसिंह भाटी के जिम्मे थी।
केशोरायपाटन में सभी का चौंकाया था
बीकानेर दौरे की तरह ही वसुंधरा ने कोटा संभाग के केशोरायपाटन में 8 मार्च को अपने जन्मदिन पर धार्मिक यात्रा की थी। उस दौरान भाजपा के 100 से ज्यादा मौजूदा और पूर्व विधायकों-सांसदों काे इकट्ठा करके सबको चौंका दिया था। मौके पर हुई सभा में कांग्रेस सरकार को महिला अपराधों पर घेरा था। उस समय भी उनकी सभा को पार्टी में वसुंधरा के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा गया था।