राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार ने प्रदेश में चुनाव आचार संहिता लागू होने से कुछ ही दिन पहले सरकारी दुकानों के किरायेदारों को बड़ी खुशख़बरी दी है। चुनाव आचार संहिता लागू होने के बीच में स्थानीय निकाय विभाग का 5 अक्टूबर का एक आदेश अब सामने आया है। इस आदेश के लागू होने का एक बड़ा फायदा यह भी है कि स्थानीय निकायों की दुकानों पर वर्षों से काबिज किरायेदार अब इनका बेच भी कर सकेंगे। राज्य सरकार ने ऐसे प्रकरणों में एक साथ 30 साल की लीज जारी करने की स्वीकृति दी थी। लेकिन अब लीज कह अवधि बढ़ाकर 99 साल कर दी गई है। इसके लिए किरायेदार को भूखंड साइज के हिसाब से निर्धारित वर्तमान व्यावसायिक आरक्षित दर एकमुश्त जमा करवानी होगी। हालांकि अब यह फैसला नई सरकार के गठन के बाद ही प्रदेश में लागू होगा। सरकार द्वारा जारी किए गए आदेश का अनुमोदन निकायों को अपने बोर्ड की बैठक में करवाना पड़ेगा।
दुकान के क्षेत्रफल पर इस प्रकार से जमा करानी होगी आरक्षित मूल्य की राशि
आदेश के अनुसार, किसी सरकारी दुकान का क्षेत्रफल 40 वर्गमीटर या इससे कम है और किराएदार 26 जनवरी 1950 से पहले काबिज है तो, आरक्षित मूल्य की 25 प्रतिशत राशि एक साथ जमा करानी होगी। 26 जनवरी 1950 से 10 अगस्त 1983 तक की अवधि वाले किरायेदार को आरक्षित मूल्य की 50 प्रतिशत राशि एकमुश्त जमा करानी होगी। 11 अगस्त 1983 से 17 जून 1999 की अवधि के किरायेदारों को आरक्षित मूल्य की 75 प्रतिशत राशि एक साथ देनी होगी। अगर भूखंड की साइज 40 वर्गमीटर से ज्यादा है तो उसके लिए 50 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तक प्रीमियम राशि अलग से देनी होगी।
किरायेदारों को एक मुश्त राशि के अलावा वर्तमान आरक्षित दर की 5 प्रतिशत राशि हर साल किराए के रूप में भी जमा करवानी होगी। अगर सरकारी किरायेदार यह राशि लगातार 8 सालों के लिए एक मुश्त जमा करवाते हैं तो वे किराया मुक्त हो जाएंगे। यदि मूल किरायेदार ने दुकान सबलेट कर दी है तो उसके लिए जमा की जाने वाली आरक्षित दर के अलावा 50 प्रतिशत प्रीमियम राशि भी देनी होगी। राज्य सरकार के इस नए आदेश से सरकारी किरायेदारों को बड़ी राहत मिलेगी।