कांग्रेस अपने चुनाव प्रचार में लगातार राजस्थान सरकार पर बजरी के ठेकों और बिजली खरीद पर आरोप लगाती आ रही है। अब मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने इन आरोपों का करारा जवाब दिया है। शनिवार को एक जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जो कांग्रेस हमारी सरकार पर महंगी बिजली खरीदने का आरोप लगा रही है, वह यह क्यों नहीं बताती कि जेबें भरने के लिए बजरी के साथ-साथ बिजली खरीद का यह अनुबन्ध भी उन्हीं की गहलोत सरकार का था। क्या-क्या नहीं किया कांग्रेस ने। महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामलों में उसके मंत्री जेल गये। टीवी पर कांग्रेस के मंत्रियों को पैसे लेते हुए दुनिया ने देखा। सच तो यह है कि भ्रष्टाचार, दुराचार, अत्याचार का पर्याय कांग्रेस अब दुष्प्रचार पर उतर आई है।
हमारी योजनाओं की सफलता देखकर बौखलाए कांग्रेस के नेता कहते हैं कि उनकी सरकार आई तो वो भामाशाह योजना बंद कर देंगे। उस भामाशाह योजना को जो राजस्थान के 1 करोड़ 67 लाख परिवारों के 6 करोड़ से ज्यादा सदस्यों की पहचान बन चुका है और महिलाओं के स्वाभिमान का प्रतीक है।#ShameCongressShame
— Vasundhara Raje (@VasundharaBJP) 2 December 2018
मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे सिरोही जिले के पिण्डवाड़ा में भाजपा प्रत्याशी समाराम गरासिया, फलासिया में झाडोल विधानसभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी बाबूलाल खराड़ी, चुराड़ा में कुशलगढ़ विधानसभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी भीमा भाई डामोर, मुगाना में धरियावाद विधानसभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी गौतम लाल मीणा, पीपलखूंट में घाटोल विधानसभा क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी हरेन्द्र निनामा एवं बांसवाड़ा में भाजपा प्रत्याशी हकरू मईड़ा के समर्थन में चुनावी सभाओं को संबोधित कर रही थीं।
बजरी के ठेकों पर किसने साइन किए ?
मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने कांग्रेस से प्रश्न पूछा है कि उस समय की सरकार के मुखिया बताएं कि उनके समय हुए बजरी के ठेकों पर किसने साइन किए? गहलोत सरकार के समय चुनावी चंदे के लिए बजरी के ठेके दिए गए जिनसे पीछा छुड़ाने के लिए हमारी सरकार को लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। आगे उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार ने राज्य में बजरी खनन के लिए तहसीलवार बड़े आकार के प्लॉट बनाकर वर्ष 2012-13 में 82 एलओआई (मंशापत्र) जारी किए। बड़े आकार के तहसीलवार प्लॉट बनाने से एक ही ग्रुप ने राज्य के लगभग पूरे बजरी खनन क्षेत्र पर एकाधिकार कर लिया था।
‘कांग्रेस की फितरत को सब जानते हैं’
मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने कहा कि हमारी सरकार ने तो इन पांच सालों में पारंपरिक स्रोत की बिजली खरीद के लिए किसी निजी कंपनी से कोई करार नहीं किया। बिजली खरीद के करार लंबी अवधि के (25 वर्ष) होते हैं जो पिछली गहलोत सरकार ने किए। इन अनुबंधों की वजह से ही निजी कंपनी से बिजली खरीदी गई। आवश्यकता न होते हुए भी कांग्रेस ने साल 2013 में चुनाव से पहले एक हजार मेगावाट बिजली खरीदने का करार किया जिसे हमने घटाकर पांच सौ मेगावाट किया। राजे ने बताया कि हमारी सरकार ने तो उन्हीं दरों पर बिजली खरीदी जिनका अनुबंध कांग्रेस सरकार ने विधानसभा चुनाव 2013 से पहले अडानी से किया था। कांग्रेस की फितरत को सब जानते हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने 50 साल तक प्रदेश के किसानों का भला नहीं किया, उल्टे उन्हें कर्जदार बना दिया। हमारी सरकार ने प्रदेश के तीस लाख किसानों के कर्ज माफ किए। उनके लिए बिजली की दरें नहीं बढ़ाई। साथ ही उन्हें मुफ्त बिजली दी।
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