जयपुर। वैश्विक महामारी कोरोना के कारण आज भले ही पूरी दुनिया स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर चिंतित है। लेकिन इस महामारी ने स्वास्थ्य के साथ ही अर्थव्यवस्था व रोजगार को सबसे बड़ा नुकसान पहुंचाया है। भारत में 24 मार्च से जैसे ही लॉकडाउन का आगाज हुआ, देशभर में मजदूरों व निम्न वर्ग के लोगों का पलायन शुरू हो गया। चूंकि देश में अनिश्चितताओं का दौर प्रारंभ हो चुका था, इसलिए निम्न वर्ग के लोगों के लिए काम-धंधा छोड़ना उनकी मजबूरी बन चुका था। सरकार ने अपने स्तर पर गरीबों को राशन पहुंचाने व जरूरतमंदों की सहायता के लिए अभियान भी चलाए। लेकिन सहायता का यह दौर भी कुछ माह बाद ही ठंडा पड़ता नजर आने लगा। देश की अर्थव्यवस्था को भारी क्षति पहुंचती देख केन्द्र सरकार ने अनलॉक की कार्रवाई शुरू की, जिससे धीरे-धीरे कुछ वर्गों का काम भी गति पकड़ने लगा। लेकिन कुछ वर्ग अभी भी ऐसे हैं, जिनके पास पिछले 9 महीने से कमाई का कोई जरिया नहीं है। इनमें से एक है, शादी, समारोह व सामाजिक कार्यक्रमों में बैंड-बाजे, घोड़ी व डेकोरेशन वाले।
बैंड, घोड़ी व लाइट वालों के परिवार भूखे मरने पर मजबूर
कहने को तो देश में अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद से ही धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है। लेकिन राजस्थान सरकार के एक फरमान के चलते प्रदेश में बैंड-बाजे, घोड़ी व डेकोरेशन वालों के पास अपनी आजीवीका के लिए अभी भी कोई काम नहीं है। गौरतलब है कि गहलोत सरकार ने शादी समारोह में 100 लोगों के ही शामिल होने का फरमान जारी कर रखा है। ऐसे में आयोजनकर्ता बैंड बाजे वालों के बिना ही अपने कार्यक्रम का पूर्ण कराने पर मजबूर है। वहीं बैंड-बाजे, घोड़ी व लाइट वालों की आर्थिक स्थिति बद से बदत्तर होती जा रही है।
सरकार शादी, धार्मिक व सामाजिक आयोजनों में सम्मिलित होने वालों की अधिकतम सीमा में बैंड, घोड़ी व लाइट वालों को ना गिनें। क्योंकि ये अंदर समारोह में शामिल नहीं होते।
सरकार इन्हें अलग रखते हुए इनका रोजगार चालू करवाने के संदर्भ में आदेश निकालकर इनको राहत प्रदान करें।#PeopleFirst pic.twitter.com/vnWlH8cwoK
— Vasundhara Raje (@VasundharaBJP) November 3, 2020
वसुंधरा राजे ने लिखा गहलोत सरकार को पत्र
पिछले तीन महीने से बैंड-बाजे वालों के कई संगठन राज्य सरकार से मांग कर रहे हैं कि उन्हें शादी समारोह में गाने-बजाने की अनुमति दी जाए। लेकिन राज्य सरकार ने इनकी मांगों पर कोई कार्रवाई नहीं की। गहलोत सरकार के रवैये से परेशान बैंड-बाजे वालों के एक समूह ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तक अपनी बात पहुंचाई। इस पर राजे ने तुरंत एक्शन लेते हुए राजस्थान सरकार के नाम एक पत्र लिखकर बैंड, घोड़ी व लाइट वालों को रोजगार के अवसर प्रदान करने की मांग की। राजे ने लिखा कि “सरकार शादी, धार्मिक व सामाजिक आयोजनों में सम्मिलित होने वालों की अधिकतम सीमा में बैंड, घोड़ी व लाइट वालों को ना गिनें। क्योंकि ये मूल रूप से समारोह में शामिल नहीं होते। सरकार इन्हें अलग रखते हुए इनका रोजगार चालू करवाने के संदर्भ में आदेश निकालकर इनको राहत प्रदान करें।”
राजनीति से ज्यादा समाजसेवी कार्यों में एक्टिव दिखीं राजे
देश में लॉकडाउन के बाद से ही वसुंधरा राजे समाजसेवा के क्षेत्र में काफी एक्टिव नजर आ रही हैं। हालांकि इस समय में इन्होने राजनैतिक कार्यों की बजाय जनहित के कार्यों को वरियता दी। मार्च के बाद से राजे ने गरीब परिवारों को भोजन के पैकेट उपलब्ध कराने, पैदल मजदूरों को चप्पल पहनाने व खाना खिलाने, जरूरतमंदों तक मेडिकल सहायता उपलब्ध कराने जैसे कई कार्य किए। लेकिन खुद को मीडिया कवरेज से दूर रखा तथा किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अन्य नेताओं की तरह अपने समाजसेवी कार्यों का बखान नहीं किया।