news of rajasthan
Vasundhara Govt proved to be effective in reconciliation between nature and human beings.
आधुनिकता की इस दौड़ में इंसान विकास के नाम पर इतनी तेजी से आगे बढ़ रहा है कि वो कई अहम पहलुओं पर सोचने के लिए भी तैयार नहीं है। आज का इंसान यह भूल चुका है कि अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए मानव जाति को उन सभी तत्वों में संतुलन बनाए रखना होगा, जो उसे प्रकृति ने दिया है। ये सच है कि बढ़ती आबादी और जंगलों तक फैल रहे शहरीकरण ने मानव जाति को पतन की ओर धकेल दिया है। इंसान ने स्वार्थी बनकर भौतिक सुख सुविधाओं के लिए विकास की आड़ में पेड़ों का इतना दोहन किया कि देश के कई राज्यों में जंगल सिर्फ नाम मात्र के ही रह गए। वहीं राजस्थान जैसे मरू प्रदेश में तो स्थिति और भी भयावह हो गई।
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Image: वसुंधरा राजे.
आजादी के बाद तमाम सरकारों ने इस ओर ध्यान तो दिया लेकिन वो ठस कदम नहीं उठा सके, जिससे वन तथा वन्य जीव संरक्षण का कोई स्थाई समाधान निकल सके। राजस्थान में वन संवर्द्धन की दिशा में अच्छे दिनों की शुरुआत वसुंधरा राजे के शासन काल में हुई। उन्होंने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से ना सिर्फ प्रदेश के विकास क्रम को जारी रखा बल्कि जंगलों पर बढ़ रहे मानव प्रभाव को भी कम करने में सफलता हासिल की। इनमें जयपुर का नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क, झालाना लैपर्ड सफारी, द्रव्यवति नदी के किनारे घना वृक्षारोपण, रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान तथा मुकुंदरा टाइगर रिजर्व पार्क का विकास वन संरक्षण की नजीर है।
वहीं झालावाड़-बारां सांसद दुष्यंत सिंह द्वारा हाड़ौती क्षेत्र में किए गए प्रयास भी राजस्थान का खोया स्वरूप लौटाने में कारगर साबित हुए हैं। उन्होंने कोटा, झालावाड़ व बूंदी जिलों से जुड़े मुकुंदरा टाइगर रिजर्व पार्क में बाघों को शिफ्ट करने की परियोजना पर पूरी तत्परता से काम किया तथा आस-पास के अन्य जंगलों से बाघ सहित वन्य जीवों को मुकुंदरा में शिफ्ट किया। इसके अलावा दुष्यंत सिहं ने हाड़ौती क्षेत्र को हरा-भरा बनाने के लिए अधिकाधिक पेड़ लगाने पर भी विशेष ध्यान दिया तथा जन जागरूकता के माध्यम से प्रकृति व मानव के बीच सामंजस्य स्थापित करने में भी सफलता हासिल की है।
Content: Om