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राजस्थान में कांग्रेस सरकार बनते ही किसानों का शोषण शुरू हो गया है। ऐसा प्रदेश के इतिहास में पहली बार हुआ है जब एक तरफ मुख्यमंत्री अपने पद की शपथ ले रहे हों वहीं दूसरी ओर यूरिया के लिए लाइनों में लगे किसानों पर पुलिस लाठियां भांज रही हों। हाड़ौती के बारां और कोटा सहित कई क्षेत्रों में हुआ यह घटनाक्रम जब समाचारों की प्रमुख सुर्खियां बन गया तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसके लिए पूर्व भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहरा दिया। असल में अशोक गहलोत ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे और भाजपा सरकार पर निम्न आरोप लगाए हैं…

1. वसुन्धरा राजे ने हारने के डर से प्रदेश में यूरिया संकट की स्थिति पैदा की।
सच्चाई- भाजपा के पांच वर्षीय कार्यकाल में पर्याप्त मात्रा में यूरिया की खेप राजस्थान पहुंच रही थी। हार के डर से भला कोई सरकार यूरिया की आपूर्ति क्यों बंद करेगी।

2. केन्द्र सरकार ने राजस्थान में यूरिया की आपूर्ति रोकी है।
सच्चाई- एक रिपोर्ट के अनुसार केन्द्र से सभी राज्यों को आवश्यकतानुसार पर्याप्त मात्रा में यूरिया की आपूर्ति हो रही है। किसानों को खाद नहीं मिलने का प्रमुख कारण कालाबाजारी है।

3. केन्द्र ने राजस्थान के हिस्से का यूरिया अन्य राज्यों को भेजा दिया है।
सच्चाई- मध्यप्रदेश के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री कमलनाथ का बयान है कि केन्द्र सरकार ने उनके हिस्से का यूरिया राजस्थान भेज दिया है, इसलिए मध्यप्रदेश में यह दिक्कत आ रही है। कमलनाथ का यह बयान दैनिक भास्कर ने 22 दिसंबर के संस्करण में छापा भी है। ऐसे में स्पष्ट होता है कि अशोक गहलोत का भाजपा सरकार पर आरोप सरासर झूठ है।

4. हमने पिछले कार्यकाल में भी किसानों को भरपूर मात्रा में यूरिया उपलब्ध कराया।
सच्चाई- वर्ष 2008 से 2013 तक के कांग्रेस के कार्यकाल में किसानों को कभी भी समय पर यूरिया खाद नहीं मिला। या यूं कहे कि बिना पुलिस की लाठी खाये कभी यूरिया नहीं मिला।

निष्कर्ष- अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए अन्नदाता को मोहरा बनाकर विपक्ष पर आरोप लगाना और किसानों का हक मारना कांग्रेस का पुराना इतिहास रहा है। वास्तव में कांग्रेस सरकार बनते ही बिचौलियों के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि कालाबाजारी के लिए यूरिया का स्टोक किया जा रहा है। इसमें कोई अतिशियोक्ति नहीं कि कालाबाजारी व भ्रष्टाचार के माध्यम से चुनावों पर हुए अपने खर्चे को वसुलने के लिए कांग्रेस नेताओं का कमिशन भी फिक्स है।