चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा पीआईएल पिटिशन संख्या 20200/2017 डॉ. अभिनव शर्मा, अधिवक्ता बनाम राज्य सरकार व अन्य के मामले में सोमवार को दिये गये आदेश की पालना में चिकित्सकों तथा रेजीडेन्ट डॉक्टर्स को तत्काल काम पर लौटने के निर्देश दिये हैं। क्रिसमस पर अवकाश के दिन हाईकोर्ट की एक विशेष बैंच ने प्रदेश में बिगड़ती चिकित्सीय व्यवस्था की गंभीरता को देखते हुए चल रही हड़ताल को गैरकानूनी बताया है और सभी चिकित्सकों व रेजीडेन्ट डाक्टर्स को तत्काल अपने काम पर लौटने के लिए कहा गया है। साथ ही सरकार को निर्देश दिये गये हैं कि काम पर नहीं लौटने वालों के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये हैं। उसके बाद चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ ने 26 दिसम्बर यादि आज तक काम पर लौटने वाले सेवारत चिकित्सकों व रेजिडेंट डॉक्टर्स की गिरफ्तारी न किए जाने की बात कही थी। इस हिसाब से आज चिकित्सकों के काम पर वापिस लौटने का आखिरी दिन है जिस पर खबर लिखे जाने तक कोई अमल नहीं हुआ है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भरतपुर में 12 चिकित्सक आज नौकरी पर लौट आए हैं।
हड़ताली चिकित्सक व पदाधिकारी हुए अंडरग्राउंड
इससे पहले राज्य सरकार ने सहानुभूति बरतते हुए हड़ताली चिकित्सकों को वापिस लौटने के लिए 24 घंटे का अतिरिक्त समय दिया था। साथ ही सभी हड़ताल पर गए चिकित्सकों से 26 दिसम्बर तक काम पर लौटकर अपने राजकीय उत्तरदायित्वों व जनता के प्रति कर्तव्यों का निर्वहन करने का आग्रह किया गया है। इस अंतिम अवसर के बाद उच्च न्यायालय के निर्देश की सख्ती से पालना करते हुए रेस्मा के तहत गिरफ्तारी की जाएगी। यह अल्टीमेटम मिलने के बाद चिकित्सक संघ की ओर से कहा गया है कि भय दिखाने से हड़ताल नहीं टूटेगी। सरकार के इस अल्टीमेटम के बाद कई हड़ताली चिकित्सक व पदाधिकारी भूमिगत हो गए और उनके फोन भी स्वीचआॅफ आने लगे हैं।
स्वाइन फ्लू से 263 मौत हो चुकी हैं प्रदेश में
चिकित्सकों ने ऐसे समय पर हड़ताल का कदम उठाया है जब प्रदेश स्वाइन फ्लू और डेंगू जैसी बिमारियों से जूझ रहा है। इस साल में स्वाइन फ्लू की वजह से प्रदेश में 263 मौत हो चुकी है। बीते 10 दिनों में यह आंकड़ा 15 से उपर पहुंच गया है लेकिन डॉक्टर्स अपनी हठ पर बने हुए हैं। चिकित्सकों ने 16 दिसम्बर से हड़ताल पर जाने का मार्ग चुना और 18 दिसम्बर से रेजीडेंट भी लगातार हड़ताल पर बने हुए हैं। इस तरह हठ अपनाकर और सरकार को दबाव में लाकर चिकित्सीय पेशे के साथ किसी भी तरह से न्यायसंगत नहीं माना जा सकता।
इनका कहना है :
‘सरकार भय दिखा रही है। तीन डॉक्टर्स जैसलमेर में सलाखों के पीछे हैं। अब चिकित्सा मंत्री और विभाग पर भरोसा नहीं है। मुख्यमंत्री इस मामले में पहल करे।’
– डॉ. अजय चौधरी, अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के प्रदेशाध्यक्ष
‘डॉक्टरों की हड़ताल को हाईकोर्ट ने गलत बताते हुए तुरंत नौकरी ज्वाइन करने के आदेश दिए हैं। फिर भी सरकार ने हड़ताली डॉक्टर्स को मंगलवार तक का समय दिया है। डॉक्टर्स समझें और हठ छोडें। 24 घंटे बाद सख्ती बरती जाएगी।’
– कालीचरण सराफ, चिकित्सा मंत्री
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