दरअसल यहां बात उनके दौरे की नहीं है, बात है कि विभाग प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे स्वाइन फ्लू और इसके संक्रमण के खतरे से कितना अवगत है। शायद विभाग और मंत्री महोदय को खबर नहीं है लेकिन हालात इतने भयावह हैं कि देशभर में अब तक स्वाइन फ्लू से 90 के करीब मौते हो चुकी हैं जिनमें से 72 अकेले राजस्थान में हुई हैं। संक्रमण से पीड़ितों की संख्या दो हजार के करीब होने की पूरी संभावना जताई जा रही है। गौर करने वाली बात यह भी है कि यह केवल सरकारी आंकड़े हैं जिन्हें प्रकाशित किया गया है। असल में तो कहानी और भी गंभीर हो सकती है।
खैर, यह तो सच है कि मंत्री महोदय को प्रदेश में हो रही मौतों से कोई खास लेना देना नहीं है लेकिन आखिर वह चिकित्सा मंत्री हैं। ऐसे में उनका प्रदेश की जनता को झूठा ही सही लेकिन ढांढ़स बंधाना जरूरी है। पर मंत्री महोदय तो इसके लिए भी तैयार नहीं हैं। पिछले डेढ़ महीने तो वह केवल झंड़ारोहण करने का इंतजार करते रह गए। उनके इंतजार में 75 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ गया। झंडारोहण भी हो गया तो दो दिन अन्य कोई विकल्प ढूढंने में लग गए होंगे। अब देखना यही है कि कब मंत्री महोदय की आंख खुलेगी और तब उन्हें प्रदेश की आम जनता की पीड़ा दिखेगी।