news of rajasthan

news of rajasthan

इस समय राजस्थान में स्वाइन फ्लू पूरी तरह अपने पैर पसार चुका है। ठंड और स्वाइन फ्लू का संक्रमण दोनों ही ऐसे निर्मोही हो गए हैं कि न सर्दी कम होती है, न ही स्वाइन फ्लू के पीड़ित। पिछले 26 दिनों में हालात यह हैं कि अब तक 70 से अधिक पीड़ितों की मौत स्वाइन फ्लू से हो चुकी है। देशभर में यह संख्या 90 के करीब है। इसके बाद भी राजस्थान सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। ताजिब की बात तो यह है कि ऐसे नाजुक समय में भी मुख्यमंत्री महोदय और डिप्टी सीएम के साथ अन्य बड़े अधिकारी केवल तबादलों में व्यस्त हैं। हाल ही में प्रदेश सरकार ने तीन आईपीएस, 45 आईएफएस और 156 आरपीएस के तबादले किए हैं। इसके तुरंत बाद तबादलों की चौथी सूची जारी 26 आरएएस अधिकारियों को भी बदला गया है। अरे भई, अधिकारियों की अदला-बदली की इतनी जल्दी क्या पड़ी है। 5 साल आपकी ही सरकार है, यह काम तो आराम से भी हो सकता है। पहले जो विपदा सामने खड़ी है, उससे तो निपटो लेकिन क्या कहें, कानों पर किसी के भी जूं तक नहीं रैंग रही।

अब चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा को ही ले लीजिए। वह तो पहले ही कह चुके हैं कि पहले प्रशासनिक कार्यों को पूरा करेंगे, फिर पीड़ितों की सुध लेंगे। उनका भी कहना—सोचना सही है। कहीं पता चले कि शर्माजी पीड़ितों का हालचाल पूछने गए और खुद ही संक्रमण का शिकार हो गए। सोचना इसलिए सही है कि स्वाइन फ्लू सर्दियों में तेजी से फैलता है। शर्माजी ने सोचा कि मकर संक्रांति के बाद सर्दी वैसे भी कम हो जाती है तो उसके बाद देखा जाएगा लेकिन यहां भी बुरा वक्त साथ आ गया। बिना मौसम मावठ ने सारा किरकिरा कर दिया। अब जनवरी समाप्त होने को है और ठंड है कि पारा 10 से उपर जा ही नहीं रहा। अब स्वाइन फ्लू का यह भूत भागे तो कैसे।

खैर, अब तो प्रदेश की जनता को भी समझ आ गया है कि आम जनता जिए या मरे, सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। सत्ता 5 साल के लिए आ गई है तो कुछ हो भी नहीं सकता। चिकित्सा मंत्री महोदय पहले ही कह चुके हैं कि मौतें पहले बार तो हो नहीं रही। मुख्यमंत्रीजी चुप्पी साधे बैठे हैं। अब होना जाना कुछ नहीं है,बस प्रदेश की जनता और स्वाइन फ्लू के मरीज ठंड कम होने की प्रार्थना करें। क्या पता प्रार्थना ही काम कर जाए क्योंकि प्रदेश सरकार के दरवाजे पर तो सुनवाई होनी नहीं है।

Read more: रामगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए मतदान जारी, परिणाम 31 जनवरी को