स्वाइन फ्लू प्रदेशभर में तेजी से फैलता जा रहा है जिसे काबू करना शायद चिकित्सा विभाग के बस में भी नहीं है। ऐसे में किया जाए तो आखिर क्या, इसका जवाब किसी के पास नहीं है। आलम यह है कि एक जनवरी से 21 जनवरी के बीच केवल 21 दिनों में प्रदेशभर में 51 मौते हो चुकी हैं और जिम्मेदार जिम्मेदारी लेने की जगह केवल बहाने बनाने और सर्दी खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं। तर्क है कि मौसमी बीमारी है और ठंड में तेजी से फैलती है। जब ठंड कम हो जाएगी तो बीमारी स्लो हो जाएगी लेकिन यह तर्क भी तथ्य के अनुसार समझ से परे है। इससे भी डरावना यह है कि इन दिनों में पूरे देश में स्वाइन फ्लू से कुल 80 मौतें हुई हैं जिनमें से 51 राजस्थान के हैं। राज्य में अब तक 1335 पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं।
स्वाइन फ्लू के मुद्दे पर हो रही मौतों पर विधानसभा में कांग्रेस-भाजपा में सोमवार को तीखी नोकझोंक हुई। जब पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा विधायक कालीचरण सराफ ने स्वाइन फ्लू की वजह से प्रदेश में हुई मौत के आंकड़ों के लिए वर्तमान चिकित्सा मंत्री को दोषी ठहराया तो रघु शर्मा ने सिर्फ इतना कहा कि जितने पॉजिटिव सामने आए, उनमें 4 फीसदी की मौत हुई है जिसका अफसोस है। सरकार बीमारी की रोकथाम के लिए मॉनिटरिंग कर रही है। चिकित्सा मंत्री होने के नाते रघु शर्मा का केवल शोक प्रकट करते रहना किसी भी तरह से उचित नहीं है क्योंकि जनता शॉल्यूशन चाहती है न कि शोक।
वहीं हाल ही में एक वरिष्ठ अखबार के एक स्टिंग आॅपरेशन में जयपुर में 30, उदयपुर में दो, राजसमंद में 5, कोटा में दो, अजमेर में 17, बाड़मेर में दो, श्रीगंगानगर में एक और अन्य सरकारी अस्पतालों में 7 चिकित्सक छुट्टी पर चल रहे हैं। यह हालत तो तब है जब स्वाइन फ्लू की भयावह स्थिति देख तमाम सरकारी चिकित्सकों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं।
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