news of rajasthan
image credit: Bhaskar
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आपने गांधीजी के तीन बंदरों के बारे में सुना होगा। बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो और बुरा मत सुनो लेकिन आपने कहीं सुना है ‘कुछ मत देखो, कुछ मत बोलो और कुछ मत सुनो’। यह आधुनिक भारत की कहावत है और इसे बोलने वाले गांधी के बंदर तो नहीं लेकिन गांधीजी की कांग्रेस पार्टी के तीन मंत्री एवं उच्चाधिकारी जरूर हैं जो लोगों को संदेश दे रहे हैं कि चाहे कुछ भी हो जाए, चाहे किसी ​की जान ही क्यूं न चली जाए लेकिन कुछ भी मत देखो, कुछ भी मत बोलो और कुछ भी मत सुनो। यह गांधीजी के तीन बंदर…… हमारा मतबल आधुनिक गांधी के तीन सहायक हैं जिनमें से एक राजस्थान के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा हैं जो दूसरों को ‘कुछ मत बोलो’ का संदेश दे रहे हैं। राजस्थान के निदेशक-जन स्वास्थ्य डॉ.वी.के.माथुर लोगों को ‘कुछ भी मत देखो’ और अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार सिंह प्रदेशवासियों को ‘कुछ भी मत सुनो’ की सीख दे रहे हैं।

असल में हम बात कर रहे हैं प्रदेश में तेजी से बढ़ते स्वाइन फ्लू के असर और संक्रमण से अपनी जान से हाथ धोनों वाले लोगों की, जिनकी संख्या में दिन-ब-दिन इजाफा होता जा रहा है। बात करें जनवरी, 2019 की तो बीते 21 दिनों में अब तक 51 लोगों की स्वाइन फ्लू से मौत हो चुकी है जबकि 1335 पॉजिटिव केस हैं। सोमवार को ही 102 स्वाइन फ्लू पॉजिटिव केस सामने आए हैं जिनमें 47 राजधानी जयपुर के हैं। हालात यह है कि राज्य के 33 में से 31 जिले स्वाइन फ्लू की चपेट में हैं। सबसे ज्यादा मौते जोधपुर संभाग में हुई हैं। यहां 29 और जिले में 20 से ज्यादा लोगों की जान स्वाइन फ्लू के चलते चली गई। जयपुर में 5 मौते हुई हैं जो दूसरे नंबर पर है। सीकर, नागौर, उदयपुर में तीन-तीन, जैसलमेर, श्रीगंगानगर, बाड़मेर, प्रतापगढ़ व कोटा में दो-दो, अजमेर, टोंक, पाली, जालोर, बीकानेर, चूरू एवं राजसमंद में एक-एक मौत हुई है। चौंकाने वाले आंकड़ें हैं कि देश में कुल 80 लोगों की मौत स्वाइन फ्लू से हुई है जिसमें से 51 अकेले राजस्थान से हैं।

यह तो हुई प्रदेश में स्वाइन फ्लू के आंकड़ों की बात। अब आते हैं असली मुद्दे पर जो है चिकित्सा मंत्री और विभाग की चुप्पी एवं बेरुखी। न चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा और न ही विभाग इस बारे में कुछ भी करने में या तो असमर्थ हैं या करना नहीं चाहते। चिकित्सा मंत्री की बात करें तो पिछले 21 दिनों में जब प्रदेश में मौत का नंगा नाच चल रहा है, न तो वह मॉनिटरिंग कर पाए और न ही एक भी जगह प्रभावित जगह का दौरा करते दिखे। यह तक की 17 जनवरी को डॉक्टर्स की छुट्टियां रद्द करने के अपने फरमान की पालना तक नहीं करा पाए। विभाग का कहना है कि भी चिकित्सक मुस्तैद हैं लेकिन एक रिपोर्ट के अनुसार, राज्यभर में करीब 66 सरकारी डॉक्टर्स छुट्टियों पर चल रहे हैं। अकेले जयपुर शहर में 30 चिकित्सक छुट्टी पर हैं।

अब ​कप्तान का यह हाल है तो वरिष्ठ प्लेयर्स यानि निदेशक और अतिरिक्त मुख्य सचिव और टीम यानि चिकित्सा विभाग से उम्मीद ही की जा सकती है। जब प्रदेश में इतना सब कुछ हो चुका है, अब विभाग की टीम और सरकार स्वाइन फ्लू की रोकथाम के लिए मॉनिटरिंग कर रही है। हद तो यह है कि 21 जनवरी से स्वाइन फ्लू के खिलाफ विशेष अभियान शुरू किया गया है जो शायद एक महीने पहले शुरू हो जाना चाहिए था।