29 दिनों में 78 जानों को लील गया स्वाइन फ्लू, जोधपुर में सबसे अधिक 23 मौत
प्रदेश में सत्ता बदलते ही शिक्षा व चिकित्सा व्यवस्था में अग्रणी राजस्थान अब ‘फ्लूस्थान’ कहलाता दिख रहा है। मतलब-वह स्थान जहां फ्लू का राज है, माने स्वाइन फ्लू। यह कोई झूठ नहीं बल्कि सत्ताधारी गहलोत सरकार के राज में भयावह हो चुकी कटु सच्चाई है। प्रदेश में स्वाइन फ्लू तेजी से फैल रहा है और इससे बढ़ रही है संक्रमण से होनी वाली मौतों की संख्या। पॉजिटिव मरीजों की संख्या तो 2000 के करीब आ पहुंची है। आलम यह है कि पिछले 29 दिनों में स्वाइन फ्लू 78 लोगों की जिंदगी लील गया है। जबकि पूरे देश में यह संख्या 90 के करीब है। जोधपुर में स्वाइन फ्लू से सर्वाधिक 23 लोगों की मौत हुई है। बीकानेर व उदयपुर दूसरे एवं तीसरे नंबर पर है। यहां क्रमश:सात और छह लोग स्वाइन फ्लू की चपेट में आकर काल के मुंह में समा चुके हैं। प्रदेश की राजधानी जयपुर जहां पूरी सरकार बैठती है, वहां भी 5 लोगों की स्वाइन फ्लू के चलते मौत हो चुकी है। इसके बाद भी सरकार चेत नहीं रही और तबादले, योजनाओं के नाम परिवर्तन व लोकसभा चुनाव आदि कार्यों में मशगूल है। हालत इतने खराब हैं कि प्रतापगढ़ के एसडीएम वारसिंह खुद संक्रमण के शिकार हैं। इतना हो जाने के बाद भी न ही अशोक गहलोत सरकार और न ही चिकित्सा विभाग अपनी आंखें खोल रहा है।
बीती रात हुई है 3 मौतें, 65 नए केस आए
29 जनवरी को 3 और मरीजों की मौत स्वाइन फ्लू के चलते हुई है। मंगलवार को कोटा, भरतपुर व सीकर में एक-एक मरीज ने संक्रमण के चलते दम तोड़ दिया। इसी दौरान प्रदेशभर में 65 नए मरीज सामने आए जिनमें सर्वाधिक 28 जयपुर में मिले।
सर्वाधिक पॉजिटिव केस जयपुर में, उदयपुर दूसरे नंबर पर
बात करें राजधानी जयपुर की तो यहां इस साल सर्वाधिक 782 स्वाइन फ्लू पॉजिटिव केस सामने आए हैं। जोधपुर में 340, उदयपुर में 117 और बीकानेर में 103 केस रिकॉर्ड हुए हैं। कोटा-सीकर में भी ऐसे केसों की संख्या 50 के पार है। केवल प्रदेश का बांसवाड़ा एकमात्र ऐसा जिला है जहां इस साल एक भी स्वाइन फ्लू पॉजिटिव मरीज नहीं मिला।
यह है जिलेवार स्थिति
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