बेलगाम स्वाइन फ्लू राजस्थान में अपने पैर दिन-ब-दिन पसारे जा रहा है। चिकित्सा विभाग सकते में है और श्रीमान चिकित्सा मंत्री महोदय खुद समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर करें तो करें क्या। ऐसे में उन्होंने इस स्थिति से पल्ला झाड़ लेना ही उचित समझा। जैसाकि प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने अपने एक इंटरव्यू में कहा है, ‘यह पहली बार नहीं हुआ है। यह मौसमी बीमरियां है। यह इन तीन-चार महीनों में हर साल आती है। पिछले 5 बरसों में इससे कई मौतें हुई है। हम तो पहले से अलर्ट होकर काम कर रहे हैं।’ कुल मिलाकर उन्होंने इस खतरे को मौसमी बीमारी होने का दावा कर अपना पिंड छुड़ा तो लिया लेकिन माननीय को शायद पता न हो कि जिस बीमारी को वह केवल एक मौसमी बीमारी बता रहे हैं, उस मौसमी बीमारी ने प्रदेश में मौत का तांड़व बना दिया है। पिछले 18 दिनों में स्वाइन फ्लू से 43 लोगों की मौत हो चुकी है।
डॉ.शर्मा ने यह भी दावा किया कि इसकी रोकथाम के लिए स्वास्थ्य महकमा पूरी जी जान से जुटा हुआ है लेकिन परिणाम तो सबसे सामने है। चिकित्सा विभाग बीमारी की रोकथाम में नहीं बल्कि आंकड़े छिपाने में व्यस्त है। केवल जनवरी माह में स्वाइन फ्लू से पीड़ित होने वालों की संख्या का आंकड़ा 1099 तक जा पहुंचा है जो लगातार बढ़ता जा रहा है।
प्रदेश में शुक्रवार को जोधपुर में 2 और जैसलमेर में एक व्यक्ति की मौत स्वाइन फ्लू से हुई है जबकि प्रदेश में 63 नए स्वाइन फ्लू पॉजिटिव केस सामने आए हैं। इनमें सर्वाधिक जयपुर में 16, उदयपुर में 12, जोधपुर में 9, कोटा व बीकानेर में 5-5 और चूरू व गंगानगर में 3-3 नए पॉजिटिव केस दर्ज हुए हैं। स्वाइन फ्लू से अब तक सर्वाधिक 18 मौतें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में हुई हैं। इसके बाद भी रोकथाम के उपाय न कर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य की ओर से प्रदेश में 21 से 23 जनवरी तक विशेष स्क्रीनिंग अभियान चलाए जाने के फरमान सुनाए जा रहे हैं।
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