news of rajasthan

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वर्तमान राजस्थान सरकार में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि विधानसभों में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव पारित कराया जाएगा। ऐसा कहकर कांग्रेस सदन में महिलाओं की आवाज को एक मुद्दा बनाने में जुट गई है। और जुटे भी क्यूं न, लोकसभा चुनाव जो करीब आ रहे हैं। असल में यही शब्द चुनावी रैलियों में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी बार-बार दोहराए थे। महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना चाहिए, बिलकुल सही है लेकिन विधानसभा चुनावों में जिन्होंने 200 सीटों पर केवल 23 महिलाओं को टिकट बांटा, उनके मुंह से यह बात अच्छी नहीं लगती।

कांग्रेस ने यह भी कहा है कि पूर्व पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोकसभा और अन्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की बात उठाई है। लेकिन सोनिया गांधी खुद यह भूल गईं कि पिछले विधानसभाओं और लोकसभा में पार्टी ने महिलाओं को कितने टिकट बांटे। इस बार के विधानसभाओं में 200 में से 23 टिकट महिलाओं के बीच बंटे। वहीं लोकसभा चुनाव-2014 में 25 में से केवल 7 टिकट महिलाओं को दिए गए।

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यह तो बात हुई राजस्थान विधानसभा या सदन में महिलाओं के आरक्षण की। अब बात करें ओवरआॅल आरक्षण की यानि पढ़ाई, नौकरी इत्यादी में आरक्षण की तो यहां तो पहले से ही महिलाओं को आरक्षण दिया जा रहा है। इससे पहले भी कांग्रेस ने महिलाओं के लिए आरक्षण और अन्य योजनाएं चलाने की सिर्फ बातें की लेकिन उन्हें कभी अमल में नहीं ला पाए। अब लोकसभा चुनाव करीब आते देख उन्हें फिर से महिलाओं का दामन पकड़ने की याद आयी है।

वहीं बात करें पूर्ववर्ती सरकार की तो वसुन्धरा राजे ने खुद एक महिला होने के नाते राजस्थान में ​महिलाओं का दर्द समझा और लड़कियों के पैदा होने से लेकर पढ़ाई और शादी तक की सभी व्यवस्थाओं का इंतजाम किया। राजश्री ऐसी ही एक योजना का नाम है जिसमें बालिकाओं के जन्म के समय 2500 रुपए, एक वर्ष का टीकाकरण होने पर 2500 रुपए, पहली कक्षा में प्रवेश लेने पर 4000 रुपए, कक्षा 6 में प्रवेश लेने पर 5000 रुपए, कक्षा 10 में प्रवेश लेने पर 11000 रुपए और कक्षा 12 उत्तीर्ण करने पर 25000 रुपए की आर्थिक सहायता दी जाती है। इसके साथ ही मेधावी छात्राओं को साइकिल, लैपटॉप, स्कूटी और विदेश में पढ़ाई करने के लिए स्कॉलरशिप जैसी कई योजनाएं उस दौर में चलाई गई हैं। लिंगानुपात को बढ़ाने में भी पूर्ववर्ती सरकार का अहम योगदान रहा है। इसी बदौलत पांच साल पहले प्रदेश में जो ​लिंगानुपात प्रति एक हजार पुरूष पर केवल 835 महिलाओं का था, वह बढ़कर 2018 में 935 तक आ पहुंचा है जो एक बड़ी उपलब्धि है।

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खैर, राजस्थान विधानसभा के बाद लोकसभा चुनावों को देखते हुए कांग्रेस के ऐसे कई झांसे वादों के पिटारों से निकल सामने आएंगे जिनका न कोई औचित्य है और न ही रणनीति। ऐसे वायदें हमेशा फाइलों में बंद रहेंगे जिनपर वजन तो रखा जाता है लेकिन सोच का नहीं बल्कि अलमारी में बंद उन अतिरिक्त फाइलों का, जो इसी तरह के झांसों की फेहरिस्त में शामिल हैं।