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प्रदेश के अन्नदाता अगर दुखी और परेशान रहें तो क्षेत्र का विकास होना नामुमकिन है। इसी सोच के साथ राजस्थान सरकार इतिहास में पहली बार प्रदेश के किसानों का 50 हजार तक फसली ऋण माफ कर रही है। प्रदेशरभर में इस संबंध में शिविर लगाए जा रहे हैं जहां कई सफलता की कहानी सामने आ रही है जिसमें किसान अपने कर्जमाफी से फूले नहीं समा रहे हैं। ऐसी ही एक सफलता की कहानी है जयपुर जिले की चौमू तहसील के सांदरसर ग्राम पर आयोजित फसली ऋण माफी शिविर में आए खनिपुरा के किसान जवाहर सिंह की। जवाहर सिंह को 46 हजार रुपए का ऋणमाफी का प्रमाण पत्र यहां देते हुए उसे आर्थिक संबल प्रदान किया गया। यह ऋणमाफी उसके परिवार के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।

चौमू से करीब डेढ़ कोस दूर खनिपुरा गांव के किसान जवाहर सिंह ने एक वर्ष पूर्व सांदरसर ग्राम सेवा सहकारी समिति से लगभग 30 हजार का ऋण लिया था। जवाहर सिंह लगभग 6 माह से लकवे की बीमारी से ग्रसित है तथा काफी ईलाज कराने पर भी वह अभी तक ठीक नही हो सका है। लघु एवं सीमान्त किसान जवाहर सिंह के दो बच्चे है। बड़ा बेटा कालाडेरा में संचालित एक फैक्ट्री में तथा दूसरा जयपुर शहर में एक होटल में काम करता है। दोनो भाईयों की कुल पगार दस हजार रुपए के आसपास ही बैठती है। इस कारण से परिवार को ऋण चुकाने में काफी मुश्किल हो रही थी। इसी बीच जवाहर सिंह को लकवा हो जाने से उसके परिवार पर आर्थिक संकट और गहरा हो गया। ऐसे में राज्य सरकार की ऋण माफी योजना उसके परिवार के लिए खुशियों का पैगाम लेकर आई है।

शिविर में उसका ऋणमाफी प्रमाण पत्र लेने के लिए आई जवाहर सिंह की पत्नी बताती है कि ऋण माफी की सूचना मिली तो मन में कर्ज मुक्त होने की खुशी हुई और आज सांदरसर के शिविर में मुझे अपने पति के ऋणमाफी का प्रमाण पत्र मिला है। मेरे परिवार को इससे बड़ी राहत मिली है। सरकार के इस फैसले पर उन्होंने मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे का आभार व्यक्त किया है।

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