राजस्थान में बीते कुछ सालों में लिंगानुपात में व्यापक सुधार देखने को मिला है। वर्ष 2011 की जनगणना के समय यह लिंगानुपात 888 था। यानि प्रति हजार लड़कों पर लड़कियों की संख्या 888 थी। अब प्रदेश सरकार सहित केन्द्र सरकार के सख्त रवैये के बाद अब धीरे—धीरे स्थिति सुधरने लगी है। राजस्थान में लिंग चयन प्रतिषेद अधिनियम (पीसीपीएनडीटी एक्ट) के तहत कड़ी कार्रवाई के चलते बाल लिंगानुपात में खासा सुधार हुआ है। साल 2017-18 में यह बढ़कर 950 लड़कियां प्रति हजार लड़कों पर जन्म ले रही हैं। इसके लिए सरकार ने कुछ खास कदम उठाए हैं। आइए जानते हैं टॉप 5 उपायों के बारे में…
राजश्री योजना
बेटियों के जन्म को प्रोत्साहित करने, उन्हें शिक्षित व सशक्त बनाने के लिए सरकार ने 1 जून, 2016 से मुख्यमंत्री राजश्री योजना राज्य में शुरू की है। यह वसुन्धरा सरकार द्वारा बालिकाओं के लिए चलाई गई एक महत्वकांक्षा योजना है जिसमें बालिका के जन्म से लेकर कक्षा 12वीं तक बेटी की पढ़ाई, स्वास्थ्य व देखभाल के लिए अभिभावक को 50,000 तक की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। राजश्री योजना की पहली दो किश्त उन सभी बालिकाओं को मिलेगी जिनका जन्म किसी सरकारी अस्पताल एवं जननी सुरक्षा योजना (जे.एस.वाई.) से रजिस्टर्ड निजी चिकित्सा संस्थानों में हुआ हो।
शिशु के लिंग परीक्षण पर रोक
राजस्थान में गर्भस्थ शिशु के लिंग परीक्षण पर रोक लगाने के लिए चिकित्सा विभाग के तहत पीसीपीएनडीटी सेल काम कर रहा है। पिछले चार वर्ष में पीसीपीएनडीटी सेल ने बहुत अच्छा काम किया है। यह सेल अब तक राजस्थान सहित सभी पड़ोसी राज्यों में लिंग परीक्षण के 116 मामले पकड़ चुका है। इसी का असर है कि राजस्थान में वर्ष 2011 की जनगणना में यह लिंगानुपात जहां 888 था, वह अब बढ़कर 950 तक पहुंच गया है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना
योजना का शुभारम्भ केंद्र की वर्तमान सरकार द्वारा लिंग के अनुपात में समानता लाने की दिशा में उठाया गया एक सराहनीय कदम है। लिंग अनुपात में असमानता मानव के अस्तित्व के समाप्ति का संकेत है। अत: इस गंभीर समस्या पर काबू पाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी, 2015 को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को हरियाणा के पानीपत जिले में लागू की। देश में लिंग अनुपात में समानता लाने के लिए तथा बेटियों कि सुरक्षा और कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के उद्देश्य से इस योजना को लागू किया गया है।
चाइल्ड केयर लीव
योजना के तहत महिला कर्मचारियों को अपने बच्चे के वयस्क होने यानि 18 साल तक 730 दिन चाइल्ड केयर लीव लेने की छूट दी है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने शासनकाल में वर्ष 2015 में महिला कर्मचारियों के लिए चाइल्ड केयर लीव दिए जाने की घोषणा की थी। जिन महिला कर्मचारियों के बच्चों की उम्र 18 साल से अधिक हो चुकी हैं, उन्हें इस योजना के लाभ से वंचित रखा गया है।
सुकन्या समृद्धि योजना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा जारी इस योजना में एक हजार से डेढ़हजार रूपए तक सालाना रकम जता कराई होती है। इस खते पर 9.1 प्रतिशत की दर से ब्याज दिया जाता है। लड़की के 18 साल की आयु होने पर आधार पैसा निकाला जा सकता है जबकि 21 साल होते ही अकाउंट बंद कर दिया जाता है।
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