राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में सेवारत सरकारी चिकित्सकों के हड़ताल पर जाने के बाद आज से रेजीडेंट डॉक्टर्स भी बेमियादी हड़ताल पर पहुंच गए हैं। रेजीडेंट के भी कार्य बहिष्कार के बाद अब राजस्थान में चिकित्सक व स्वास्थ्य सेवाएं एक बार फिर भगवान भरोसे पर आ गई हैं। सेवारत डॉक्टर्स ने सरकार को 18 दिसम्बर को हड़ताल पर जाने का अल्टिमेटम दिया था लेकिन 48 घंटे पहले से ही सभी कार्यरत डॉक्टर्स हड़ताल पर चले गए थे। भगवान का दर्जा माने जाने वाले यह औहदा फिर से अपनी मांगों को लेकर लोगों की जिन्दगी से खिलवाड़ करने जा रहा है। लेकिन लगता है कि राजस्थान सरकार भी इस बार आरपार की लड़ाई खेलने को तैयार है। बीते दो दिनों में 65 डॉक्टर्स की रेस्मा के तहत गिरफ्तारी हो चुकी है लेकिन यह भी सच है कि धीरे-धीरे स्थिति नियंत्रण से बाहर होते हुए भी नजर आ रही है।
पिछले दो दिन से मरीजों की परेशानी का सबब बनी डॉक्टरों की हड़ताल सोमवार को तीसरे दिन भी जारी है। उपचार में देरी के चलते पिछले दो दिनों में प्रदेश में 2 लोग जिन्दगी से हाथ धो चुके हैं और सैंकड़ों ऑपरेशन को टाला जा चुका है। सरकार के सख्त रवैये और गिरफ्तारी के डर से चिकित्सा संघ के अध्यक्ष अजय चौधरी सहित अधिकांश डॉक्टर्स डॉक्टर भूमिगत हो गए हैं। लेकिन इसका पूरा असर आमजन पर पड़ने वाला है जो किसी भी तरह से ठीक नहीं है।
वसुन्धरा सरकार और चिकित्सीय संघ में लगातार चलती खींचतान में खुद डॉक्टर्स ही फंसते चले जा रहे हैं। इस बार भी पहले की तरह चिकित्सक संघ में दो धड़े बन गए है। एक धड़ा जो कार्य बहिष्कार कर हड़ताल पर जा चुका है, वहीं दूसरे धड़े में शामिल करीब 150 डॉक्टर्स राजधानी जयपुर में ड्यूटी पर तैनात है और मरीजों का दर्द समझ अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
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