जयपुर। राजधानी जयपुर की पोक्सो कोर्ट-3 मेट्रो-1 ने 10 वर्षीय मासूम बच्ची से हुए रेप केस के बाद महज 9 दिन में अपना फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने अभियुक्त कमलेश मीणा को 20 साल की सजा सुनाई है। जयपुर की पुलिस और अदालत ने एक दुष्कर्म के केस में एक ऐसा उदाहरण पेश किया है, जिसने अपराध और अपराधी को सजा के बीच सिर्फ 9 दिन का समय लिया।
7 घंटे में चालान पेश, 13 घंटे में आरोपी की गिरफ्तारी
यह मामला जयपुर के कोटखावदा इलाके का है। 26 सितंबर को 9 साल की बच्ची का अपहरण कर दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया गया। इसके बाद पुलिस की फुर्ती और न्यायपालिका की सक्रियता ने पूरे देश में बेमिसाल नजीर पेश की। घटना के बाद 13 घंटे में आरोपी की गिरफ्तारी, अगले 6 घंटे में आरोपी के खिलाफ कोर्ट में चालान और लगातार 7-7 घंटे के स्लॉट में रोज 4 दिन तक 28 घंटे की सुनवाई और कुछ सैकंड्स में फैसला। ऑफिसर केस स्कीम में 19 गवाहों के बयानों के साथ पोक्सो कोर्ट में ट्रायल।
18 घंटे तक जागे रहे 150 पुलिसकर्मी
एडिशनल डीसीपी अवनीश कुमार शर्मा ने बताया, केस में 150 पुलिसकर्मियों की टीमों ने समानांतर रूप से अलग-अलग काम किया। लगातार 18 घंटे तक झपकी तक नहीं ली। लगातार काम, समानांतर रूप से पुलिस जांच, आरोपी की गिरफ्तारी, पीड़िता और आरोपी का मेडिकल मुआयना, पीड़िता के धारा 164 सीआरपीसी के बयान, घटनास्थल का निरीक्षण, मेडिकल के दौरान पीड़िता व आरोपी के मेडिकल बोर्ड द्वारा लिये गये साक्ष्यों व पीड़ित तथा आरोपी के कपड़ों को जब्त कर एफएसएल जमा करवाने की कार्रवाई, बच्ची के परिजनों को विधिक सहायता प्राधिकरण से आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाने के लिए प्रस्ताव भेजना, यही सब 150 पुलिसकर्मियों की अलग-अलग टीमें करती रहीं।
यह है पूरा मामला
कोटखावदा थाना इलाके में 26 सितंबर की शाम को कमलेश मीणा ने बच्ची को उसके घर छोड़ने के बहाने पास के खेत मे ले जाकर रेप किया था। अभियोजन के अनुसार बच्ची घर का सामान लेने बाहर गई थी। वहां आरोपी उससे मिला। उसने बच्ची से कहा कि वह उसके चाचा को रुपए देने उसके घर ही जा रहा है। वह उसके साथ चले। वह उसे घर छोड़ देगा। लेकिन उसके बाद कमलेश ने पीड़िता को सुनसान जगह ले जाकर उसके साथ रेप की वारदात को अंजाम दिया। वहीं उसे जान से मारने की नीयत से उसका गला भी दबाया। बच्ची को मरा समझ आरोपी वहां से फरार हो गया।