जयपुर। राजस्थान में राज्यसभा चुनाव से पहले सियासी उठापटक शुरू हो गई है। कांग्रेस विधायकों की बाड़ाबंदी के बीच पार्टी के दिग्गज नेताओं का जयपुर पहुंचना शुरू हो गया हैं। राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के पर्यवेक्षक रणदीप सिंह सुरजेवाला और टीएस सिंहदेव जयपुर पहुंच चुके हैं। पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने गुरुवार को सुबह रणदीप सिंह सुरजेवाला से मुलाकात की। उसके बाद विश्वेन्द्र सिंह ने सुरजेवाला से मुलाकात का फोटो भी ट्वीट किया। सुरजेवाला से हेमाराम चौधरी समेत कई विधायकों ने भी मुलाकात कर राज्यसभा चुनाव पर चर्चा की। इससे पहले जयपुर में की गई कांग्रेस विधायकों की बाड़ाबंदी के बीच बुधवार देर रात अधिकतर को कुछ समय के लिए घर जाने की छूट दे दी गई। लेकिन सभी विधायकों को गुरुवार शाम पांच बजे से पहले रिसॉर्ट लौटने के लिए कहा गया है। शाम 5 बजे रिसॉर्ट में कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों की बैठक बुलाई गई है।
विधायकों ने की शिकायत
खबरों के अनुसार गुरुवार शाम को बसों में भरकर एक रिसॉर्ट ले गए विधायकों ने शिकायत करते हुए कहा कि अचानक बाड़ाबंदी के कारण वे दवाएं, कपड़े और अन्य जरूरी सामान साथ नहीं ला सके हैं। वहीं कुछ विधायकों ने रिसॉर्ट में एसी काम नहीं करने और पर्याप्त स्टाफ नहीं होने की शिकायत भी की। देर रात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उनको डिनर के बाद दवा और कपड़े लेकर आने के लिए घर जाने की छूट दे दी। इस पर अधिकतर विधायक अपने-अपने घर चले गए।
दिल्ली रोड स्थित रिसॉर्ट में की गई है बाड़ाबंदी
आपको बता दें कि बीते दो दिनों से इस बात की चर्चा जोरों पर है कि राज्यसभा चुनाव में समर्थन के लिए बीजेपी निर्दलीय और कांग्रेस के कुछ विधायकों से संपर्क साधकर उन्हें ऑफर दे रही है। इसके बाद कांग्रेस सतर्क हो गई है। चर्चा की गंभीरता को देखते हुए सीएम अशोक गहलोत ने बुधवार शाम को कांग्रेस और समर्थन वाले सभी निर्दलीय विधायकों की बैठक बुलाई थी। पहले यह बैठक सीएम हाउस में रखी थी, लेकिन अचानक बैठक का स्थान बदलकर दिल्ली रोड स्थित एक रिसॉर्ट में कर दिया गया। उसके बाद सभी विधायकों को बसों से दिल्ली रोड शिव विलास रिसॉर्ट में ले जाकर वहां बाड़ाबंदी कर दी गई।
19 जून को 3 राज्यसभा सीटों पर चुनाव
प्रदेश में 19 जून को 3 राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव हैं। कांग्रेस ने केसी वेणुगोपाल और नीरज डांगी वहीं, भाजपा ने राजेंद्र गहलोत और ओंकार सिंह को उतारा है। संख्याबल के हिसाब से भाजपा के पास सिर्फ 1 प्रत्याशी को जिताने का बहुमत है। हर प्रत्याशी को जीतने के लिए कम से कम 51 वोट चाहिए। कांग्रेस को दोनों उम्मीदवारों को जिताने के लिए 102 वोटों की जरूरत है जो आसानी से मिलते दिख रहे हैं। कांग्रेस के साथ 13 निर्दलीय, लेफ्ट, बीटीपी के दो-दो और एक आरएलडी विधायक हैं। भाजपा के पास खुद के 72 विधायकों के अलावा तीन वोट आरएलपी के हैं।