राजस्थान सरकार ने मंदिर माफी अथवा देवमूर्ति की भूमियों के संबंध में आ रही समस्याओं को दूर करने के लिए एक परिपत्र के माध्यम से नये निर्देश जारी किए हैं। संशोधित निर्देश जारी होने के बाद प्रदेश भर से आए पुजारियों ने गुरुवार को राजस्व राज्य मंत्री अमराराम का उनके राजकीय निवास पर आभार व्यक्त किया। परिपत्र में जारी निर्देशों के अनुसार यदि पूर्व में 13 दिसम्बर 1991 को जारी परिपत्र के अनुसार जमाबन्दी में मूर्तिमंदिर के साथ पुजारी का नाम विलोपित करने के साथ यदि अलग से इसके लिए संधारित किए गए रजिस्टर में पुजारी का नाम अंकित नहीं किया गया है, तो 13 दिसम्बर 1991 को जमाबन्दी में अंकित पुजारी अथवा सेवायत का नाम इस पहले से संधारित किए जा रहे रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा।
मंदिर की भूमियों के लिए पृथक से रजिस्टर बनाकर पुजारियों के नाम दर्ज किए जाएं
परिपत्र में कहा गया है कि ऐसे पुजारी जिनको खातेदार, पट्टेदार, खादिमदार के रूप में खातेदारी मिली हुई थी और जिनका नाम गलती से हट गया है एवं 24 मई 2007 व 25 नवम्बर 2011 को जारी परिपत्रों के निर्देशों व स्पष्टीकरण के अनुसार जिन्हें पुनः खातेदारी दी जा सकती है। ऐसे प्रकरणों का विधिक परीक्षण कर सही पाए जाने पर खातेदार बन चुके पुजारियों के नाम जमाबन्दी के खातेदार कॉलम में अंकित किए जा सकेंगे। परिपत्र में यह भी निर्देशित किया गया है कि मंदिर की भूमियों के लिए पृथक से रजिस्टर बनाकर उसमें पुजारियों के नाम 13 दिसम्बर, 1991 के प्रावधान के अनुसार दर्ज किए जाएं। इस रजिस्टर को ऑनलाइन रूप में जमाबन्दी से लिंक भी किया जाएगा।
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पुजारी मंदिर संरक्षक के रूप में बिजली, पेयजल, ट्यूबवेल आदि के कनेक्शन ले सकेंगे
परिपत्र में कहा गया है कि ऐसे पुजारी मंदिर भूमि के संरक्षक के रूप में मंदिर भूमि के विकास के लिए बिजली, पेयजल, ट्यूबवेल आदि के कनेक्शन ले सकेंगे। वे फसल खराबे की स्थिति में नियमानुसार सहायता अनुदान लेने तथा बीज, कृषि उपादान आदि पर भी अनुदान लेने के लिए पात्र होंगे। इसके अतिरिक्त, मंदिर के नाम बैंक खाता होने पर पुजारी को इसका संचालक एवं उपयोगकर्ता बनाया जा सकेगा। परिपत्र के अनुसार मंदिर भूमि पर अतिक्रमण का मामला पुजारी या पटवारी द्वारा ध्यान में लाए जाने पर तहसीलदार अतिक्रमी के विरुद्ध उसी प्रकार कार्यवाही करेंगे जैसे राजकीय भूमि पर अतिक्रमी के विरुद्ध की जाती है।