अब राजस्थान का रेगिस्तान भी हरा भरा दिखाई देगा। यहां के डेजर्ट यानि मरूप्रदेश और सेमी डेजर्ट इलाकों में कैक्टस की खेती किए जाने की योजना बनाई जा रही है। इस सम्बन्ध में राज्य सरकार को इजराइल से एक प्रस्ताव प्राप्त हुआ है। इस प्रस्ताव पर उच्च स्तर से विचार भी किया जा रहा है। कैक्टस को मोटापा कम करने और डायबिटीज रोग में कारगर माना गया है। साथ ही इसे पानी की ज्यादा आवश्यकता न होने की वजह से रेगिस्तानी इलाकों में इसकी खेती संभव है।
इस सम्बन्ध में इजराइली विशेषज्ञ एमनॉन ऑफेन ने राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और कृषि मंत्री प्रभुलाल सैनी से मुलाकात की है। एमनॉन ऑफेन का कहना है, ‘राजस्थान के डेजर्ट और सेमी डेजर्ट इलाके के लिए कैक्टस की खेती काफी मुफीद साबित हो सकती है। इसकी वजह है कि न तो इसे ज्यादा पानी की जरुरत होती है और न ही इस पर ज्यादा लागत आती है।‘
आपको बता दें कि कैक्टस को दुनिया भर में पौष्टिक फूड के तौर पर स्वीकार किया गया है। दवा के रुप में भी कैक्टस का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर हो रहा है। कैक्टस का पौधा यह कम पानी और रेतीली भूमि जैसे कठिन परिस्थितियों में भी पनप सकता है। भीषण सूखे की स्थिति में यह पालतु पशुओं के लिए चारा मुहैया करा सकता है।
इस बारे में राजस्थान के कृषि मंत्री डॉ.प्रभुलाल सैनी का कहना है कि ‘प्रदेश में पानी की कमी और रेगिस्तानी क्षेत्र को देखते हुए कैक्टस की खेती काफी उपयोगी साबित हो सकती है। इसकी न्यूट्रिशन और औषधीय वैल्यू का परीक्षण कराया जा रहा है। यह भी पता लगाया जा रहा है कि किसानों के लिए यह कितना मुफीद साबित होगा। उसके बाद बड़े स्तर पर इसकी खेती पर काम किया जाएगा। फिलहाल कैक्टस को मोटापा कम करने और डायबिटीज रोग में कारगर पाया गया है। राज्य सरकार इसे नवाचार के रुप में अपनाने पर विचार कर रही है।‘
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