राजस्थान में अब मंदिर मूर्ति की जमीन से जुड़े राजस्व रिकाॅर्ड में पुजारी का नाम नहीं होगा। इस संबंध में राजस्व विभाग ने आदेश जारी कर दिया है। दरअसल, मंदिर मूर्तियों की बेशकीमती जमीनों से जुड़े विवादों की लगातार बढ़ती संख्या और मंदिरों की जमीन हड़पे जाने के मामलों को ध्यान में रखते हुए राज्य के राजस्व विभाग ने इस संबंध में एक आदेश जारी किया है। विभाग के आदेश के अनुसार, अब मंदिर मूर्ति से जुड़ी जमीन के राजस्व रिकार्ड में अब पुजारी या सेवायत का नाम नहीं लिखा जाएगा। बता दें, इस विषय के संबंध में 1991 में ही राज्य सरकार ने आदेश दे दिया था, लेकिन गलत व्याख्या के कारण इस आदेश का सही पालन नहीं हो पा रहा था।
राजस्व कानून के तहत मंदिर मूर्ति को माना जाता है शाश्वत नाबालिग
जानकारी के लिए बता दें कि मंदिर मूर्ति को राजस्थान के राजस्व कानून के तहत शाश्वत नाबालिग माना जाता है। प्रदेश में यह स्थापित कानून है कि मंदिर मूर्ति की जमीन किसी को नहीं दी जा सकती है। लेकिन मंदिर मूर्ति की जमीनें राजस्व रिकार्ड में पुजारी व सेवायत के जरिए ही दर्ज होती चली आ रही है। चूंकि मूर्ति को शाश्वत नाबालिग माना जाता है इस कारण से पुजारी, सेवायत व महंत इनके सेवाधारी के रूप में राजस्व रिकार्ड में नाम आसानी से दर्ज करवा लेते हैं।
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गौरतलब है कि बेशकीमती जमीनों को मंदिर मूर्ति के स्थान पर निजी खातेदारी में दर्ज कराने के लिए कई तरह के तरीके अपनाए जाते हैं। इसकी वजह से विवाद की स्थिति भी पैदा होती है। इस संबंध में लंबित मामलों की बात करें तो राजस्व मंडल में ही करीब छह हजार मुकदमे मंदिर मूर्ति की जमीनों के लंबित पड़े हैं। अब राजस्व विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि राजस्व रिकार्ड व जमाबंदी की बजाए अलग से रजिस्टर संधारित कर उसमें पुजारियों के नाम लिखे जाये।