राजस्थान विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद कांग्रेस में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर रस्साकशी जारी है। पिछले चुनाव में 21सीटों पर सिमटी कांग्रेस अब 99 सीटों के साथ सरकार बनाने का दावा कर रही है। हालांकि बहुमत में एक सीट कम है लेकिन कांग्रेस से बागी होकर लड़े निर्दलीयों का पूरा समर्थन भी पार्टी को मिल रहा है। गौरतलब है कि 2008 में कांग्रेस को 95सीटें मिली थी जिसे बाद में बसपा ने 6सीटों का समर्थन दिया था।
वहीं राजस्थान में चार सीटें ऐसी भी जहां कांग्रेस-भाजपा में जीत हार का अंतर हजार वोटों से भी कम का रहा है। अगर इन सीटों पर भाजपा प्रत्याशी जीतने में कामयाब हो जाते तो, कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी हो जाती। प्रदेश की पोकरण, दातारामगढ़, फतेहपुर और खेतड़ी सीटों पर जीत-हार का अंतर 3604 वोटों का रहा है अगर इसके आधे वोट यानि की 1800 वोट भाजपा के पक्ष में होते तो सियासत की तस्वीर कुछ और ही होती। जिस मुख्यमंत्री के नाम को लेकर पायलट और गहलोत खेमे में जो अदावत हो रही है शायद वे ना होती और राजस्थान में भाजपा का पुन: सरकार बनती। खैर, उम्मीद यही की जानी चाहिए कि कांग्रेस सत्ता में रहकर अपनी आपसी बगावत को भूल प्रदेश का विकास करेगी।
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