विकास की बात चली है तो विकास के नाम से याद आया की नए साल की ताबड़तोड़ शुभकामनायें देने वाले सभी लोगों को हम बड़े ही काम शब्दों में कहना चाहेंगे कि “SAME TO YOU”… सीधी बात नो बकवास। वो क्या है ना दुनियाभर की मंगलकामनाएं तो आपको दुनिया पहले से ही दे चुकी है। इसलिए हमने सोचा उन्हीं शब्दों को दोहराने से अच्छा है कि हम आपको सीधे मुंह “सेम टू यू” ही बोल दें। अरे भई नया-नया साल है। सबने अपने-अपने काम तय किये होंगे। नए साल में क्या करना है, क्या नहीं करना। कांग्रेस ने भी अपने कार्यों की लिस्ट तैयार कर ली होगी। आप और हम सब मिलकर यही आशा करते हैं। कांग्रेस सरकार अपने सारे वादों को पूरा करे। ऐसे में कांग्रेस के नए साल में क्या संकल्प हो सकते हैं।

किसानों को कभी उनका हक़ नहीं देना –

राजस्थान की नयी सरकार, कांग्रेस सरकार ने सत्ता की बागड़ोर पूरी तरह से अपने हाथों में सम्भाल ली है। और क्या संभाली है, साहब एक दम धुंआंधार तरीके से। कांग्रेस के सरकार बनने के दो दिन बाद किसानों क़र्ज़ माफ़ी की घोषणा कर दी। हालांकि ये बात अलग है कि किसानों को क़र्ज़माफ़ी का लाभ प्रत्यक्ष रूप से अभी तक नही मिला है। बस जनता की आँखों पर ये पट्टी बांधने के लिए कि कांग्रेस सरकार किसानों की हितैषी है, बोल दिया। कितना बढ़िया बेवकूफ़ बनाया है कांग्रेस ने किसानों को, पहले दस दिन का वादा किया, फिर दो दिन में घोषणा कर दी। लेकिन आज सरकार को बने पूरे 15 दिन हो चुके हैं, मगर मज़ाल है जो प्रदेश में कहीं भी किसी किसान का क़र्ज़ अभी तक माफ़ हुआ हो। उल्टा कांग्रेस सरकार किसानों को यूरिया नहीं देकर उनके साथ ऐसा सलूक कर रही है, मानो किसानों से कर्ज़ माफ़ि का बदला लिया जा रहा हो। ऊपर से किसान को दिन में सिंचाई के लिए बिजली नहीं मिल पाने की वजह से उन्हें रात को सिंचाई करनी पड़ रही है। अब सोचिये “पूस की रात” “कड़कड़ाती ठण्ड”। आप और हम रजाई में दुबककर भी सर्दी-सर्दी चिल्लाते हैं। उस ठण्ड में वो किसान रातों को जाग-जाग कर सिंचाई करता हैं। ऐसे में ज़िम्मेदार सरकार को चाहिए कि वो दिन में बिजली की व्यवस्था करे। ताकि झालरापाटन के गोविंदपुरा गांव के मोहनलाल लोधा की तरह रात में सिंचाई करते हुए ठंड लगने से किसी और किसान की मौत नहीं हो। भाजपा सरकार में भले ही किसी किसान ने कर्ज़ के बोझ तले दबकर आत्महत्या नहीं की हो, मगर कांग्रेस सरकार में किसान संसाधनों के आभाव में जरूर मर जायेंगे।

 

राजस्थान की जनता को बांटकर रखना –

कांग्रेस पार्टी जो परंपरा सालों से निभाती आयी है। उसे एक स्तर और ऊपर ले जा सकती है। पहले चुनाव जीतने दो दिन बाद ही कांग्रेस विधायक राजेन्द्र बिधूड़ी जी ने कहा था, “हम जहां से जीते हैं, वहां विकास करेंगे। जहां से हारे हैं, वहां विकास नहीं करेंगे, छोड़ देंगे, अगले पांच साल लड़ना नहीं है।” और आज कांग्रेस एक मात्र महिला और बाल विकास राज्‍यमंत्री ममता भूपेश ने भी कह दिया, कि भई हम अगर काम करेंगे तो सबसे पहले अपनी जात वालों का काम करेंगे। फिर समाज का। और उसके बाद अगर कुछ थोड़ा बहुत बच गया तो दूसरी जनता और प्रदेश का विकास करा देंगे ,वरना…! वरना क्या? अरे मंत्री साहिबा हैं भई! कुछ भी कह सकती हैं। अब उनके हाथ में सत्ता है, पॉवर है। वो कुछ भी बोल सकती हैं। रही बात काम की, तो करवाए तो करवाए, नहीं भी करवाए तो कोई क्या कर सकता है? क्योंकि कांग्रेस वाले एक बात तो अच्छी तरह समझ चुके हैं कि राजस्थान की जनता को तो आदत हो चुकी हर पांच साल में सरकार बदलने की। ऐसे में काम-धाम में कोई खास रूचि नहीं भी लेंगे तो भी कोई फ़र्क पड़ने वाला है नहीं। पांच साल बाद तो वैसे भी सरकार बदल ही जाएगी। फिर जितनी योजनाएं मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने राजस्थान को दी हैं, उनसे आने वाले पांच साल तो निकल ही जायेंगे। पांच साल बाद भाजपा सरकार आकर फिर से प्रदेश की बिगड़ी हालत को दुरुस्त कर देगी। बड़े जतनों से तो हमें सत्ता मिली है। अब भी ऐश-आराम नहीं करेंगे तो कब करेंगे।

राजस्थान की बेरोज़गारी को बनाये रखना –

कांग्रेस सरकार ने विधानसभा चुनावों में किसानों और बेरोजगारों को अपना मुख्य लक्ष्य बनाया। किसानों को तो कर्ज़ माफ़ी का लालच दिया, और बेरोजगारों को बेरोज़गारी भत्ता देने का। लेकिन जिस प्रकार से अभी तक किसानों का कर्ज़ माफ़ नहीं हुआ, उसी प्रकार अभी तक राजस्थान के लाखों बेरोज़गार युवाओं के लिए ना तो कोई रोज़गार के साधन की बात की जा रही है और ना ही चुनावों से पहले घोषणा की गयी बेरोजगारी भत्ते की। जो रीट लेवल प्रथम की भर्तियों पर कांग्रेस ने रोक लगवाई थी। उस पर से भी अभी तक रोक नहीं हटायी गयी है। जिससे परीक्षा पास करने वाले लाखों युवाओं का भविष्य अभी भी धुंध में ही कहीं खो रहा है। केबिनेट की पहली मीटिंग में कांग्रेस ने रोज़गार की बात भी की तो नरेगा की। अब बताईये कोई स्नातक और स्नातकोत्तर की पढ़ाई करके भी गड्ढे ही खोदेगा क्या? वो भी ऐसे समय पर खुदवाये जाते हैं, जब या तो भीषण गर्मी का मौसम होता है या फिर तब, जब कड़कड़ाती ठण्ड पडती है। क्या मिट्टी खुदवाने के अलावा कांग्रेस सरकार जनता के लिए कोई अन्य अच्छे रोज़गार ने अवसर उपलब्ध नहीं करवा पाती क्या? जो दशकों से सिर्फ नरेगा ही चलाती आ रही है। तो क्या फिर राजस्थान की बेरोज़गारी ख़त्म हो पायेगी?

कांग्रेस ने हमेशा से ही प्रदेश को बांटा है। फिर राजस्थान की जनता को भी बंटना ही तो आता है, जात के नाम पर, धर्म के नाम पर, आरक्षण के नाम पर, भगवान के नाम पर, अमीरी के नाम पर, ग़रीबी के नाम पर। तभी तो पांच साल पूरी लगन और मेहनत से राजस्थान का विकास करने के बावज़ूद भाजपा सरकार हार गयी और चुनावों से चंद महीनों पहले जनता के बीच में दिखावा करने वाले कांग्रेस के नेता जीत गए।

 

Author

Mahendra