राजस्थान की सरकार एक बार फिर उन लोगों के हाथ में आ गयी, जो लोग पांच साल पहले थोक के भाव में घोटाले करके गए थे। कांग्रेस पार्टी की सभी केंद्र और राज्य सरकारों पर घोटालों की पार्टी का तमगा तो पहले से ही लगा हुआ था। ऊपर से जनता ने फिर से इनको मौका दे दिया। अब कहते हैं ना कि चोर चोरी से जाये मगर हेरा-फेरी से थोड़े ही जायेगा। अब भुगतना पड़ेगा। कुछ लोगों की ग़लती की सजा सब लोगों को मिलेगी।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने पिछले कार्यकाल में जमकर घोटाले किये थे। कांग्रेस ने राजस्थान को कंगाली के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया था। सरकारी कागजों में आज भी अशोक गहलोत के ख़िलाफ़ उदयपुर की उदयसागर झील पर फाइव स्टार होटल का दो हजार करोड़ रुपए का घोटाला, कल्पतरू कंपनी के माध्यम से राजस्थान वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन में करोड़ों रुपए का घोटाला, गहलोत खानदान को जोधपुर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर पदों पर फर्ज़ी नियुक्ति घोटाला, खान आवंटन में गहलोत के रिश्तेदारों को खान आवंटित करने का घोटाला। ऐसे कई घोटाले हैं, जो कांग्रेस ने राजस्थान में किये थे।
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कांग्रेस सरकार ने सबसे बड़ा घोटाला किया था एंबुलेंस घोटाला। जिसमे यूपीए की राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक के मंत्री और उनके रिश्तेदार शामिल थे। राजस्थान के 108 एम्बुलेंस घोटाले को लेकर सीबीआई ने भी केस दर्ज़ किया था। घोटाले में सीबीआई ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट के खिलाफ भ्रष्टाचार का आपराधिक मामला दर्ज किया था। साल 2009 में राजस्थान में ये एंबुलेंस घोटाला हुआ था। जिसमे ज़िकित्ज़ा हेल्थकेयर नाम की एक कंपनी को राज्य में अस्पतालों या चिकित्सा केंद्र से दूर स्थित ग्रामीण इलाकों में एम्बुलेंस सेवा मुहैया कराने के लिए चुना गया था। लेकिन इसमें काफी धांधली की गयी थी। साल 2015 में ऑडिटर ने पाया कि सिर्फ कागज़ों में मौजूद ज़िकित्ज़ा नाम की इस कंपनी को एम्बुलेंस सेवा मुहैया कराने के लिए पैसों का भुगतान किया गया।
अब इसके केंद्र से जुड़े तारों के बारे में भी जान लो। ज़िकित्ज़ा कंपनी का संचालन तत्कालीन केंद्रीय मंत्री व्यालार रवि के बेटे रवि कृष्णा करते थे। इसके अलावा कंपनी के निदेशकों में तत्कालीन गृहमंत्री पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम भी शामिल थे। उस वक्त भी राजस्थान में अशोक गहलोत ही मुख्यमंत्री थे। वहीं हमारे नए नवेले उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट उस वक़्त राजनीति और भ्रष्टाचार में गुर सिख रहे थे। कांग्रेस सरकार का बजरी खनन घोटाले में भी हाथ रहा। साथ ही गहलोत सरकार में गहलोत के नजदीकी रिश्तेदारों को ज़मीन बांट दी गयी थी। फिर कांग्रेस के राष्ट्रिय दामाद रॉबर्ट वाड्रा के नाम भी बीकानेर में ज़मीन घोटाले का खुलासा भी हुआ था।
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अब आप सोच लीजिये कि आज से दस साल पहले ये लोग भ्रष्टाचार करने में इतने माहिर थे, तो अब तो ये लोग झूठ और भ्रष्टाचार ने पूरी तरह से दक्ष हो गए होंगे। ऐसे में हो सकता है शायद ये लोग जनता और विपक्ष दोनों को ही पता न चलने दें और उनकी नाक के नीचे से ये लोगों की आँखों में सुरमा चुरा ले जाये।
Source: Mahendra Verma