कृषि के विभिन्न उत्पादों जैसे- फल-सब्ज़ियों, खाद्य फसलों में गुणवत्ता के साथ-साथ स्वास्थ्यवर्धकता बढ़ाने के लिए राजस्थान के कोटा में हाल ही में संपन्न किसानों के महाकुम्भ ग्राम (ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट) में प्रदेश की पहली जैविक कृषि नीति जारी की गई है। प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए तैयार की गई इस पॉलिसी में किसानों को जैविक खेती करने के लिए उपयुक्त माहौल उपलब्ध करवाने के साथ ही सरकार द्वारा हरसंभव मदद देने के लिए कई अहम प्रावधान किए गए हैं।
जैविक खेती के साथ पशुपालन के समन्वित विकास का लक्ष्य:
राजस्थान सरकार ने आमजन के स्वास्थ्य के साथ ही किसानों के लिए व उनके खेतों के लिए लाभकारी जैविक खेती को बढ़ावा देने की मंशा के तहत प्रदेश में पहली बार जैविक कृषि नीति तैयार की गई है। देश के जैविक राज्य सिक्किम की तर्ज पर बनाई गई इस पॉलिसी में प्रदेश में जैविक खेती को स्थापित कर उसका विकास करने के लिए कई अहम प्रावधान किए गए हैं। राजस्थान सरकार की इस जैविक कृषि नीति का मकसद जैविक खेती और पशुपालन का समन्वित विकास करना है। इसके अंतर्गत पशुपालन कर उनके उत्सर्जित मल-मूत्र से उपजाऊ जैविक खाद बनाई जाएगी। पॉलिसी से हमारे किसान पशुपालन कर जैविक खेती को बढ़ा सकेंगे। इससे खेती में काम आने वाली खाद का खर्च नहीं होगा। साथ ही हानिकारक कीटनाशकों का प्रयोग भी बंद हो जायेगा।
उचित क्रियान्वयन के लिए चरणबद्ध तरीके से होगा काम:
राजस्थान में जैविक खेती में क्रांतिकारी प्रगति लाने वाली इस पॉलिसी का क्रियान्वयन चरणबद्ध तरीकों से होगा। इसके तहत लॉन्ग, मीडियम और शॉर्ट टर्म लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। सरकार की इस योजना से जैविक कृषि में तय समय तक तय लक्ष्य प्राप्त किये जा सकेंगे। इस पॉलिसी में जैविक खेती के लिए जो मुख्य बिन्दु निर्धारित किए गए हैं उनमें जैविक बीज और प्लांटिंग मटेरियल की उपलब्धता के साथ ही रासायनिक वस्तुओं पर नियंत्रण, जैविक उत्पादों का प्रमोशन, इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट और स्टोरेज, पैकेजिंग व प्रोसेसिंग युनिट्स की स्थापना प्रमुख हैं।
जैविक खेती के लिए बनाई गई यह पॉलिसी 10 साल के लिए लागू होगी और समय-समय पर इसका रिव्यू भी होगा। पॉलिसी के क्रियान्वयन के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव या प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में टेक्निकल कमेटी का भी गठन किया जायेगा।
एक साल में एक लाख हैक्टेयर रकबा बढ़ाने का लक्ष्य:
राजस्थान की पहली जैविक कृषि नीति के सफल क्रियान्वयन के लिये सरकार द्वारा इसकी रुपरेखा भी तैयार की गई है। प्रदेश के कृषि से सम्बंधित सभी विभाग व संस्थानों को साथ लाया गया है। इसके लिए कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग, पशुपालन विभाग, वन विभाग, कृषि विपणन विभाग और कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय एकजुट होकर इस दिशा में कार्य करेंगे। सरकार के नेतृत्व में किसानों और सभी कृषि संस्थानों के आपसी सहयोग से प्रदेश में सालभर के अंदर जैविक खेती योग्य भूमि (रकबा) को एक लाख हैक्टेयर तक बढ़ाने का लक्ष्य है। प्रदेश में अभी करीब 65 हजार हैक्टेयर जमीन पर जैविक खेती की जा रही है।