हाल ही में राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा-पत्र में प्रदेश के किसानों का पूर्ण कर्जमाफ करने की घोषणा की। कांग्रेस ने किसानों की यह कर्जमाफी सत्ता में आने के 10 दिनों में पूरी करने का वायदा किया है। राज्य में सत्ताधारी कांग्रेस द्वारा 10 दिनों में किसानों का कर्जमाफ कर दिया जाएगा, इसको लेकर बड़ा संकट सरकार के सामने है। दरअसल, इसके लिए जो पैसा चाहिए उसका मौजूदा बजट में कहीं प्रावधान नहीं है। वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने राज्य में करीब 30 लाख किसानों का 50 हजार रुपए तक प्रति किसान कर्ज माफ किया था। तब इसके लिए वित्तीय संसाधन जुटाने में उसे काफी मशक्कत करनी पड़ी थी। राजे सरकार को इसके लिए करीब 10 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्त भार आया था। इसके लिए सहकारी अपेक्स बैंक को एनसीडीसी से डवलपमेंट फंड के नाम पर 5 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेना पड़ा था। वित्त विभाग ने इस कर्ज की गारंटी दी थी।
नई सरकार के पास बाजार से उधार लेने की बहुत ज्यादा गुंजाइश नहीं
कोऑपरेटिव(सहकारी) बैंक ने किसानों को शार्ट टर्म और मिड टर्म लोन के रूप में करीब 15 हजार करोड़ रुपए बांट रखे हैं। इसके अलावा प्राइवेट सेक्टर और स्टेट सेक्टर के बैंकों का भी लगभग 80 हजार करोड़ रुपए का कर्ज किसानों पर बकाया है। राजे सरकार ने जब किसानों के लिए 10 हजार करोड़ रुपए कर्जमाफी का ऐलान किया था तो उसके लिए बजट में 2 हजार करोड़ रुपए की राशि का प्रावधान किया गया था। इसके अलावा शेष राशि का बंदोबस्त करने की जिम्मेदारी अपेक्स कोऑपरेटिव बैंक को दी गई थी। अपेक्स बैंक ने भारी मशक्कत के बाद इसके लिए एनसीडीसी से 5 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया जिसकी गारंटर सरकार बनी। मौजूदा बजट में सरकार की उधार लेने की लिमिट 28 हजार करोड़ रुपए तय है। इसमें से सरकार अब तक 24557 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। ऐसे में नई कांग्रेस सरकार के पास बाजार से उधार लेने की भी फिलहाल बहुत ज्यादा गुंजाइश बची नहीं है।
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सरकार को किसानों का कर्ज माफ करना है तो मार्च से पहले लाना होगा नया बजट
कांग्रेस के शासन वाली राजस्थान की नई सरकार को यदि प्रदेश के किसानों का कर्जमाफ करना है तो उसके लिए बजट में राशि का प्रावधान करना होगा। लेकिन बजट के लिए सरकार को काफी एक्सरसाइज करनी होती है। दूसरी तरफ मार्च में लोकसभा चुनावों की आचार संहिता लग सकती है। ऐसे में इससे पहले सरकार को या तो अपना फुल बजट लाना होगा या फिर लोकसभा चुनावों के बाद तक का इंतजार करना होगा। यदि सरकार वोट ऑन अकाउंट लाती है तो उसमें सिर्फ सामान्य संचालन के खर्च को ही विधानसभा से मंजूरी मिल सकती है लेकिन किसी घोषणा व योजना के खर्च को वोट ऑन अकाउंट में पारित नहीं किया जाता। बता दें, पिछला बजट बीजेपी सरकार ने 6 मार्च को ही पारित करवा लिया था।