प्रदेश की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की अध्यक्षता में मंगलवार को मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर शोक प्रस्ताव पारित किया गया। मंत्रिपरिषद के सदस्यों ने दो मिनट का मौन रखकर स्वर्गीय वाजपेयी को श्रद्धांजलि अर्पित की तथा दिवंगत की आत्मा की शांति और शोक संतप्त परिजनों को यह दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। बता दें, भारत रत्न से सम्मानित और पूर्व पीएम वाजपेयी का हाल ही में दिल्ली के एम्स अस्पताल में लंबी बीमारी के कारण निधन हो गया था। वे 93 वर्ष के थे। उनकी मौत की ख़बर देशभर में शोक की लहर की तरह फैली।
इस प्रकार है मंत्रिपरिषद द्वारा पारित शोक प्रस्ताव अविकल रूप
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर, 1924 को मध्यप्रदेश के ग्वालियर में हुआ। देश में ही नहीं पूरे विश्व में लोकप्रिय अटलजी अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिए प्रसिद्ध थे। वे 3 बार देश के प्रधानमंत्री रहे। राजनीति के क्षेत्र में करीब 5 दशकों तक सक्रिय रहने वाले वाजपेयी जी 10 बार लोकसभा तथा 2 बार राज्य सभा सांसद चुने गए जो अपने आप में एक कीर्तिमान है। भारत के प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री, संसद की विभिन्न महत्वपूर्ण स्थायी समितियों के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता के रूप में उन्होंने देश के विकास में अभूतपूर्व सक्रिय भूमिका निभाई। वाजपेयी अपने छात्र जीवन के दौरान पहली बार राष्ट्रवादी राजनीति में तब आये जब ब्रिटिश उपनिवेशवाद के खिलाफ 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन हुआ, जिसमें उन्होंने भाग लिया। वाजपेयी ने अपना करियर एक पत्रकार के रूप में शुरू किया लेकिन 1951 में भारतीय जन संघ में शामिल होने के बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ दी।
पिछले कई दशकों में वह एक ऐसे नेता के रूप में उभरे, जिन्होंने विश्व के प्रति उदारवादी सोच और लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति प्रतिबद्धता को महत्व दिया। महिलाओं के सशक्तिकरण और सामाजिक समानता के समर्थक वाजपेयी का हमेशा ही यह प्रयास रहा कि भारत विश्व में एक दूरदर्शी, विकसित, मजबूत और समृद्ध राष्ट्र के रूप में स्थापित हो। उनका यह प्रयास काफी हद तक सफल भी रहा। वाजपेयी को 1992 में देश के प्रति उनके नि:स्वार्थ समर्पण तथा समाज सेवा के लिए भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म विभूषण’ दिया गया। उन्हें 1994 में भारत का ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद’ भी चुना गया। देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से भी वे 27 मार्च, 2015 को नवाजे गए। लोकसभा सदस्य के रूप में उन्होंने 3 राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और दिल्ली का प्रतिनिधित्व किया।
वाजपेयी उदारवादी तो थे लेकिन मातृभूमि की रक्षा के लिए भी थे अटल
वे उदारवादी तो थे लेकिन मातृभूमि की रक्षा के लिए अटल भी थे। उन्होंने जैसलमेर जिले के पोखरण में 11 व 13 मई 1998 को 5 परमाणु परीक्षण कर भारत को एक महाशक्ति के रूप में प्रस्तुत किया। वाजपेयी ने 1999 में कुशल नेतृत्व क्षमता का परिचय देते हुए करगिल युद्ध के माध्यम से भारत की अखण्डता को बचाने का काम किया। अटलजी ने पाकिस्तान से संबंध सुधारने के लिए दिल्ली लाहौर बस सेवा शुरू की। इस सदभाव यात्रा में वे खुद गए। उन्होंने स्वर्णिम चतुर्भुज और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के माध्यम से देश के सड़क तंत्र को मजबूत किया।
Read More: राजस्थान गौरव यात्रा: 24 अगस्त से जोधपुर संभाग के दौरे पर होंगी सीएम राजे
वे एक अच्छे स्वयंसेवक, एक अच्छे पत्रकार, एक अच्छे कवि, एक अच्छे जन नेता और एक प्रखर वक्ता थे। जिन्होंने करोड़ो भारतीयों के दिलों पर राज किया। ऐसे महान व्यक्तित्व माननीय अटल जी का 16 अगस्त 2018 को स्वर्गवास हो गया। उनके निधन से पूरे देश को अपूरणीय क्षति हुई है। अटलजी को हम सबकी ओर से श्रद्धांजलि। वे भले ही इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी स्मृतियां और उनकी प्रेरणा हमेशा हमारे साथ रहेगी। ईश्वर दिवंगत आत्मा को चिर-शांति और शोक संतप्त परिवार को इस दुःख की घड़ी में धैर्य एवं साहस प्रदान करे।