news of rajasthan
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खींवसर विधानसभा से निर्दलीय विधायक एवं किसान नेता हनुमान बेनीवाल ने मंगलवार को प्रदेश की राजधानी जयपुर में अपने नए दल ‘राष्ट्रीय लोकत्रांतिक पार्टी’ का ऐलान किया है। बेनीवाल के साथ तीन दलों ने भी मंच सांझा किया है। यह तीन पार्टियां हैं हाल ही में उदय हुई भारत वाहिनी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल और समाजवादी पार्टी। इन चारों दलों ने मिलकर संकेत दिए कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले उक्त सभी पार्टियां गठबंधन तो करेंगे ही, तीसरे मोर्चे का गठन भी करेंगे। इस दल में अधिकतर वहीं नेता हैं जो मुख्य पार्टियों से नाराज होकर बाहर हुए हैं। हालांकि कागजी पन्नों पर यह गठबंधन बड़ा ही मजबूत माना जा रहा है लेकिन सच्चाई यह है कि अब तक पिछले 65 साल के इतिहास में राजस्थान में तीसरा मोर्चा सफल होना तो दूर 10 प्रतिशत सीट भी अपने नाम नहीं कर पाया है। भाजपा-कांग्रेस के अलावा जितनी भी सीटें अन्य पार्टियों ने जीती हैं, उनके अधिक सीटों पर तो निर्दलीय प्रत्याशियों ने अपना कब्जा जमाया है।

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गठबंधन दल (तीसरा मोर्चा)

  • राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी: हनुमान बेनीवाल (खींवसर विधायक) कई वर्षों से जाट-किसान नेता के तौर पर स्थापित करने में प्रयासरत।
  • भारत वाहिनी पार्टी: भाजपा से रूठे नेता घनश्याम तिवाड़ी, सांगानेर विधायक।
  • राष्ट्रीय लोकदल: किसानों के मसीहा माने जाने वाले चौधरी चरण सिंह के पोते अजीत सिंह।
  • समाजवादी पार्टी: प्रदेश के यादव वोटों को साधने की कोशिश में उत्तरप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव।

हालांकि हनुमान बेनीवाल की अपने क्षेत्र में किसानों के बीच अच्छी खासी पकड़ है। इन पार्टियों के प्रारंभिक घोषणा पत्र में किसानों के लिए पूर्ण कर्ज माफी, मुफ्त बिजली और 10 हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता जैसी कई दिलकश घोषणाएं भी शामिल हैं लेकिन क्या करें, राजस्थान का इतिहास केवल मुख्य पार्टियों यथा भाजपा या फिर कांग्रेस के ही पक्ष में रहा है। गौर करने वाली बात यह भी है कि पिछले 5 चुनावों में भारतीय जनपा पार्टी ही अकेली ऐसी पार्टी है जिसने पूर्ण बहुमत हासिल किया है। कांग्रेस तो हर बार गठबंधन की सरकार बनकर प्रदेश में आई है। यहां राजस्थान में हुए पिछले 5 विधानसभा चुनावों के आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं जिनमें यह बात पूर्ण रूप से साफ हो जाएगी।

हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकत्रांतिक पार्टी को चुनाव चिन्ह के तौर पर बोटल और घनश्याम तिवाड़ी की भारत वाहिनी पार्टी को बांसुरी मिली है। राजस्थान विधानसभा चुनाव के पिछले परिणामों को देखते हुए ऐसा ही लगता है कि बेनीवाल के हाथ खाली बोटल की तरह खाली ही रहेंगे और तिवाड़ी को अगले 5 सालों का इंतजार बांसुरी बजाकर ही करना होगा।

एक नजर डाले गत वर्षों में हुए विधानसभा चुनावों पर तो 1993 के राजस्थान विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी एवं कांग्रेस के साथ कुल 26 पार्टियों ने हिस्सा लिया। भारी संख्या में निर्दलीय भी मैदान में उतरे थे। 200 सीटों पर हुए चुनावी रण में बीजेपी ने 95 सीटों पर कब्जा कर गठबंधन से सरकार बनाई। कांग्रेस 76 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही। अन्य 2 पार्टियों को 7 सीटों पर जीत हासिल हुई जबकि 21 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने अपना कब्जा जमाया। भैंरोसिंह शेखावत ने प्रदेश के मुख्यमंत्री की कमान संभाली।

  • भारतीय जनता पार्टी (BJP) – 95
  • इंडियन नेशनल कांग्रेस (INC) – 76
  • जनता दल (JD) – 6
  • कम्यूनिष्ट पार्टी आॅफ इंडिया (CPM) – 1
  • शेष निर्दलीय – 21

1998 के विधानसभा चुनावों में कुल 30 पार्टियों ने अपनी किस्मत आजमाई। इस बार प्रमुख दो पार्टियों को 200 में से 186 सीटें हाथ लगी। 4 पार्टियों के हिस्से 7 सीट और शेष 7 सीटें निर्दलीयों के हिस्से में आई। अशोक गहलोत ने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

  • इंडियन नेशनल कांग्रेस (INC) – 153
  • भारतीय जनता पार्टी (BJP) – 33
  • जनता दल (JD) – 3
  • बहुजन समाज पार्टी (BSP) – 2
  • कम्यूनिष्ट पार्टी आॅफ इंडिया (CPM) – 1
  • राष्ट्रीय जनता दल (NJD) – 1
  • शेष निर्दलीय-7

बात करें 2003 विधानसभा चुनावों की तो इस बार 200 सीटों पर 30 पार्टियों ने जोर आजमाया। अंतिम परिणामों में भाजपा ने 120 सीटों पर जीत के साथ पूर्ण बहुमत हासिल किया। कांग्रेस 56 सीट के साथ दूसरे नंबर पर रही। केवल 6 पार्टियों के हिस्से 11 सीटें आईं। शेष 13 सीटों पर निर्दलीय जीतकर आए। वसुन्धरा राजे को राजस्थान की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ।

  • भारतीय जनता पार्टी-120
  • इंडियन नेशनल कांग्रेस-56
  • इंडियन नेशनल लोक दल-4
  • बहुजन समाज पार्टी-2
  • जनता दल-2
  • कम्यूनिष्ट पार्टी आॅफ इंडिया-1
  • लोक जन शक्ति पार्टी-1
  • राजस्थान सामाजिक न्याय मोर्चा-1
  • शेष निर्दलीय-13

2008 विधानसभा चुनाव में कुल 42 पार्टियां मैदान में थी लेकिन 200 में से 174 सीटें भाजपा-कांग्रेस ने आपस में बांट ली। केवल 5 पार्टियों के हिस्से 12 सीटें आईं। शेष 14 सीटों पर निर्दलीय जीतकर आए। 2008 में अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

  • भारतीय जनता पार्टी-78
  • इंडियन नेशनल कांग्रेस-96
  • बहुजन समाज पार्टी-6
  • कम्यूनिष्ट पार्टी आॅफ इंडिया-3
  • जनता दल-1
  • साम्यवादी पार्टी-1
  • लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी-1
  • शेष निर्दलीय-14

विधानसभा चुनाव-2013 में राजस्थान में ज्यादा पार्टियों ने नामांकन दर्ज नहीं कराया और भाजपा-कांग्रेस ही मुख्य दल रहे। यहां 200 विधानसभा सीटों में से 163 पर बीजेपी, 22 पर कांग्रेस और 17 पर निर्दलीयों ने कब्जा जमाया। 2013 में वसुन्धरा राजे ने दूसरी बार राजस्थान की मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की।

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