राजस्थान समेत पांच राज्यों में दिसंबर माह के पहले सप्ताह के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके लिए हाल ही में भारत निर्वाचन आयोग ने चुनाव कार्यक्रम भी जारी कर दिया। इसके बाद से ही जिन राज्यों में चुनाव होने हैं वहां राजनीतिक दल ज्यादा सक्रिय हो गए हैं। चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवार भी अपनी पसंद के राजनीतिक दल से टिकट के लिए दावेदारी जता रहे हैं। इसी बीच चुनाव आयोग ने इन राज्यों में बड़ी संख्या में क्षेत्रीय दलों को चुनाव चिन्ह भी आवंटित कर दिए हैं। निर्वाचन आयोग ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, तेलंगाना और मिजोरम के 132 क्षेत्रीय दलों को चुनाव चिन्ह आवंटित किए हैं। इस सूची में राजस्थान के 40 से भी ज्यादा नए दल शामिल हैं।
ग्रामीण इलाके में गांव-ढाणी में बैठे व्यक्ति चला रहे हैं राजनीतिक दल
राजस्थान में जिन 40 क्षेत्रीय दलों को भारत निर्वाचन आयोग ने चुनाव चिन्ह आवंटित किए हैं उनमें अनारक्षित समाज पार्टी, राष्ट्रीय पावर पार्टी, खुसरो सेना पार्टी, भारतीय पब्लिक लेबर पार्टी, आप सबकी अपनी पार्टी, राष्ट्रीय महाजन पार्टी, साझी विरासत पार्टी, खुशहाल किसान पार्टी, स्वर्णिम भारत इंकलाब, ऑल हिन्दुस्तान कांग्रेस पार्टी, भारतीय जनसत्ता दल आदि नाम की मान्यता प्राप्त पार्टी शामिल है। गैर मान्यता प्राप्त पार्टियों में मजदूर-किराएदार विकास पार्टी, पंच पार्टी, विकासशील इंसान पार्टी, साफ पार्टी, रायता भारत पार्टी, गरीब बेरोजगार विकास पार्टी, भारतीय अमृत पार्टी, सर्वधर्म पार्टी आदि शामिल है। इन पार्टियों को निशान के रूप में ऑटोरिक्शा, ट्रैक्टर, सीटी, चक्की, फोन चार्जर आदि चिन्ह मिले हैं। इनमें में कई पार्टियों के मुख्यालय सुदूर ग्रामीण इलाके में गांव-ढाणी में है और उसे अकेला व्यक्ति चला रहा है। पंच पार्टी का मुख्यालय खोद की ढाणी, ग्राम व पोस्ट रैसना, नादौती, जिला करौली है। भारतीय जनसत्ता पार्टी का मुख्यालय भादवासी, वाया-कटराथल, जिला सीकर है। राजस्थान जनता पार्टी ग्राम नैथला, पोस्ट निठारी, तहसील मालाखेड़ा, जिला अलवर से चलाई जा रही है।
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बीजेपी छोड़कर नई पार्टी बनाने वाले तिवाड़ी को मिली बांसुरी
कुछ समय पहले भारतीय जनता पार्टी यानी बीजेपी छोड़कर नई पार्टी बनाने वाले सीनियर पॉलिटिशियन घनश्याम तिवाड़ी को बांसुरी मिली है। तिवाड़ी के राजनीतिक दल भारत वाहिनी पार्टी को चुनाव आयोग ने चुनाव चिन्ह के रूप में बांसुरी आवंटित की है। अब देखने वाली बात ये है कि तिवाड़ी बीजेपी को छोड़कर इस बांसुरी से कैसे फूंक मारते हैं। तिवाड़ी अन्य दलों के साथ तीसरा मोर्चा खड़ा करने की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन राजस्थान का इतिहास रहा है कि यहां तीसरा मोर्चा को जनता का कभी साथ नहीं मिलता है। इसलिए तीसरे मोर्चे का इन चुनावों में भी कोई खास प्रभावी प्रदर्शन रहने की उम्मीद नहीं है। मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस में ही होगा।