सरकार बदलते ही गरीब के घी पर डाका डाला जा रहा है। सरस घी के दामों में 20रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी से गृहणियों की रसोई का बजट गड़बडा गया है। जहां भाजपा राज में 2017 से ही सरस घी के दामों में लगातार कमी होती जा रही थी। वहीं, सरकार बदलते ही 10 दिनों में घी के दामों में 20 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हो गई है। इसके पीछे डीलर्स को फायदा पहुंचाने की मंशा जताई जा रही है। गौरतलब है कि अधिकारियों ने पहले तो स्कीम के तहत डीलर्स को घी बेचते रहे हैं। जैसे ही स्कीम बंद हुई तो घी के दामों में अधिकारियों ने बढ़ोतरी कर गरीब के घी पर भी डाका डाल दिया है।
गहलोत सरकार की चेहतों को फायदा पहुंचाने की परंपरा बदस्तूर जारी
प्रदेश में भाजपा सरकार के दौरान साल 2018 में सरस घी 80 रुपए प्रति लीटर सस्ता हुआ था। दिसंबर माह में 15 किलोग्राम सरस घी का टीन पैक 5475 रुपए में उपभोक्ताओं को मिल रहा था वहीं, कीमत बढ़ने के बाद अब इसके 5775 रुपए चुकाने होंगे। यह स्थिति तो तब है जबकि, डेयरी संघों के पास करीब 8 हजार मैट्रिक टन घी रखा हुआ है। यही नहीं, दूध की आवक प्रतिदिन करीब 32 लाख लीटर है। इसमें से 17 लाख 33 हजार लीटर दूध प्रतिदिन बिक रहा है। बाकी दूध का इस्तेमाल घी और पाउडर बनाने में हो रहा है। ऐसे में चेहतों को फायदा पहुंचाने की गहलोत सरकार की परंपरा यहां भी बदस्तूर जारी रहने वाली है।
भाजपा राज में नहीं बढ़ी दरें, कांग्रेस सरकार के आते ही दर बढ़ी
भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान सरस घी के दामों में पिछले 15 माह में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई। बल्कि 11 अक्टूबर, 2017 से ही घी के दामों में लगातार कमी हो रही है। पिछले सवा साल में 90 रुपये तक कमी सरस घी के दामों में की गई है। वहीं, कांग्रेस सरकार ने 10 दिनों में ही 20 रुपये की बढ़ोतरी कर अपनी मंशा जाहिर कर दी है। बढ़ी हुई कीमतों से आमजन में रोष व्याप्त है तो वहीं लोकसभा चुनाव में भी अब कम ही वक्त बचा है ऐसे में कांग्रेस सरकार से राहत की आस लगाए बैठा गरीब आमजन अपने को ठगा महसूस कर रहा है।
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