भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 में हुए बसंतर के युद्ध में विशेष योगदान देने वाले महावीर चक्र विजेता लेफ्टिनेंट जनरल हणूत सिंह को सेना ने अनूठा सम्मान दिया है। ‘संत जनरल’ के नाम से मशहूर रहे ले. जनरल सिंह के सम्मान में भारतीय सेना ने एक युद्धक टैंक उनके पैतृक गांव जसोल भेजा है। बाड़मेर जिले के जसोल स्थित पैतृक गांव में उनके सम्मान में बनने वाले स्मारक के साथ इस टैंक को स्थापित किया जाएगा। बता दें, लेफ्टिनेंट जनरल सिंह की अगुआई में भारतीय सेना ने 1971 में बसंतर के युद्ध में पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए थे।
17 पूना कैवेलरी रेजीमेंट ने निर्माणाधीन स्मारक के लिए भेजा टैंक
ले. जनरल हणूत सिंह के पैतृक गांव में उनके सम्मान में एक युद्ध स्मारक की स्थापना पिछले साल शुरू की गई थी। अब ले. जनरल सिंह की रेजिमेंट 17 पूना कैवेलरी ने निर्माणाधीन स्मारक के लिए एक टैंक को भेजा है, जिसको उनकी आदमकद मूर्ति के पास रखा जाएगा। बता दें, ले. जनरल सिंह पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह के चचेरे भाई थे। ले. जनरल सिंह ने 1971 में बसंतर की लड़ाई में अपनी वीरता का परिचय देते हुए पाकिस्तान की टैंक रेजिमेंट को धूल चटाई थ। इस लड़ाई में ले. जनरल सिंह के नेतृत्व में भारतीय सेना की 17 पूना कैवेलरी रेजीमेंट ने पाकिस्तान की करीब ढाई टैंक रेजिमेंट को नष्ट किया था। अब उनकी रेजिमेंट उनके साहस व आध्यात्मिक जीवन को लेकर उनकी एक गैलरी का भी निर्माण करवा रही है।
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निर्माण की देखरेख कर रहे रिश्ते में उनके भांजे और गोदपुत्र कुंवर नृपेंद्र सिंह ने बताया कि ले. जनरल हणूत सिंह ने सैनिक के साथ एक साधु का जीवन भी जीया। इस स्मारक के निर्माण के पीछे उनके जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं को लोगों के बीच लाना है। ले. जनरल सिंह के परिवार के सदस्य और शिव विधानसभा क्षेत्र से विधायक मानवेन्द्र सिंह जसोल ने बताया कि सेवानिवृत्ति के पश्चात उन्होंने अपना आध्यमिक जीवन शिवबाल योगी आश्रम देहरादून में ही बिताया था। सर्दियों के मौसम में वे दो महीने के लिए यहां बाला सती आते थे।