एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के आदेशों के बाद रेलवे के करीब 5344 डीज़ल इंजन बेकार घोषित कर दिए गए थे। एक तरह से यह सभी डीज़ल इंजन कबाड़ होने की कगार पर आ चुके थे। लेकिन रेलवे के इंजीनियर्स ने इन कबाड़ वाले इंजन को एक फायदे का सौदा साबित करने में सफलता हासिल की है। भारतीय रेल इंजीनियर्स ने एक नई तकनीक इजाद कर इन सभी इंजन को इलेक्ट्रिक करने की तैयारी कर ली है। अब यह सभी पुराने इंजन न केवल बिजली से चल सकेंगे, बल्कि 5 हजार हॉर्स पावर की बिजली भी उत्पन्न करने में सफल होंगे।
रेलवे की लखनऊ स्थित प्रोडक्शन वर्कशॉप (DLW) के इंजीनियर्स ने यह कारनामा कर दिखाया है। यही नहीं, फर्स्ट फेज में पटियाला लोकोमोटिव शेड की ब्रॉडगेज एसी ट्रैक्शन कैटेगरी के पुराने डीज़ल इंजन को इलेक्ट्रिक इंजन में बदला भी जा चुका है। इस इंजन का ट्रायल अगले माह अप्रैल में किया जाना है। अभी ट्रैक पर चलने वाले इंजनों की क्षमता 2600 हॉर्स पावर की है। इन सभी पुराने इंजनों में ट्रांसफार्मर, चेसिस, पीजी पैनल जैसे कई तकनीकी बदलाव किए गए हैं।
आपको बता दें कि हाल ही में एनजीटी ने रेलवे को आदेश दिया था कि वह अपने ऐसे इंजनों को डिस्पोज आॅफ (बंद) करें, जिनसे भारी मात्रा में वायु प्रदूषण होता है। इसके बाद रेलवे ने भी पुराने डीज़ल इंजनों को सेवाओं से हटाने की तैयारी कर ली थी। यह सभी इंजन 80 के दशक के हैं जिन्हें अब नए इलेक्ट्रिक इंजनों में बदला जा रहा है। इनसे न केवल वायु प्रदूषण की समस्या से निजात मिलेगा, अपितु अतिरिक्त बिजली भी उत्पन्न हो सकेगी।
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