अपनी चुनावी रैलियों में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने चीख-चीख कर कहा था, ‘राजस्थान में कांग्रेस सरकार बनने के केवल 10वें दिन किसानों का पूरा कर्ज माफ कर दिया जाएगा। जरुरत केवल एक से 10 तक गिनने की है।’ हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि यह 10 दिन मतगणना के परिणाम आने से गिनने हैं या फिर शपथ लेने के बाद। खैर, जो भी हो, मुद्दा यह है कि जिन किसानों के वोट कांग्रेस ने कर्ज माफी के दिलासे देकर ले लिए हैं, क्या यह वायदा वाकयी में कांग्रेस या फिर राहुल गांधी निभा पाएंगे या नहीं।
कर्जमाफी की बात करें तो भाजपा सरकार पहले ही प्रदेश के किसानों का 50 हजार रुपए तक का कर्ज माफ कर चुकी है। इस योजना का लाभ ढाई लाख से अधिक किसानों ने उठाया है और 9 हजार करोड़ से ज्यादा का भुगतान किया गया है। अब मसला यह हो गया है कि किन और कैसे किसानों का ऋण माफ किया जाएगा।
एक वजह यह भी है कि कुछ किसानों ने पहले तो अधिकांश किसानों ने हाल ही में सहकारी या अन्य बैंकों से फसली ऋण लिया है। खुद बीजेपी सरकार ने कैंप लगवाकर न सिर्फ किसानों का 50 हजार रुपए तक का कर्ज माफ कराया है, साथ ही उन्हें नया फसली ऋण भी दिलाया है। अब ऐसे में कांग्रेस के सामने या तो यह एक बड़ी चुनौती होगी कि कैसे किसानों को कर्जमाफी दी जाए या फिर राहुल गांधी के कथन को फिलहाल या आगे के लिए भी एक जुमला घोषित कर दिया जाए।
अब जो भी हो जनता के लिए अच्छा हो, हम तो यही दुआ कर सकते हैं। जिन किसानों के लिए वसुन्धरा सरकार ने इतना किया, उनका दुख-दर्द समझा, उन्होंने तो किसी अन्य का हाथ पकड़ा। ऐसा क्यूं हुआ और कैसे हुआ, यह समझ पाना थोड़ा मुश्किल होगा। अभी के लिए तो सिर्फ इतना ही कहा जा सकता है कि कांग्रेस सरकार पहले तो अपना मुख्यमंत्री घोषित करे और उसके बाद जल्द से जल्द किसानों को राहत पहुंचाने का कार्य करने में लग जाए।
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