प्रियंका चतुर्वेदी
प्रियंका चतुर्वेदी

कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को भेजे इस्तीफे में उन्होंने पार्टी में गुंडों को तरजीह देने का आरोप लगाया है। प्रियंका के खिलाफ बीते साल 1 सितंबर, 2018 को मथुरा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कांग्रेस के ही कुछ कार्यकर्ताओं ने बदसलूकी की थी। तब पार्टी ने उन कार्यकर्ताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। मगर हाल ही में उन कार्यकर्ताओं का निष्कासन रद्द कर दिया गया है। इसके बाद से प्रियंका पार्टी से नाराज चल रही थीं। वैसे कयास ये भी लगाए जा रहे हैं कि प्रियंका शिवसेना में जाने वाली हैं। असल में वह मुंबई की नॉर्थ-वेस्ट सीट से कांग्रेस का टिकट मांग रही थीं। पार्टी ने प्रियंका को नजरंदाज करके संजय निरूपम को उम्मीदवार बना दिया है। इसी वजह से उन्होंने पुराने केस के बहाने पार्टी छोड़ने का ऐलान किया है।

क्या कहा प्रियंका ने इस्तीफा देते हुए?

इस्तीफा देते हुए प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्विटर पर लंबा-चौड़ा लेटर शेयर किया। इसमें उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर आरोप लगाया कि पार्टी ने उनकी भावनाओं की कद्र नहीं की। राहुल गांधी को लिखे इस्तीफे में प्रियंका चतुर्वेदी ने लिखा है कि-

मैं अपना इस्तीफा भारी मन से लिख रही हूं। 10 साल पहले मैंने मुंबई में यूथ कांग्रेस के सदस्य के तौर पर पार्टी जॉइन की थी। मैं आपकी विचारधारा और विचारों से प्रभावित थी। इन 10 सालों में पार्टी ने राजनीति को सीखने और समझने के मुझे कई मौके उपलब्ध कराए। मैंने भी अपनी ओर से पार्टी की सारी जिम्मेदारी निभाने का 100 फीसदी प्रयास किया। मैंने पूरे समर्पण से काम किया। कुछ मौकों पर मुझे निजी तौर पर भी प्रताड़ित किया गया। पर मैंने कभी इसकी शिकायत नहीं की। मैंने पार्टी से कभी कुछ नहीं मांगा, क्योंकि मुझे लगता था कि पार्टी मेरी भावनाओं की खुद ही कद्र करेगी। बीते हफ्ते मैंने महसूस किया कि अब शायद पार्टी को मेरी सेवाओं की कोई अहमियत नहीं है।

1 सितंबर, 2018 को क्या हुआ था?

प्रियंका की नाराजगी 1 सितंबर, 2018 के एक मामले से है। जब कांग्रेस ने भाजपा व नरेंद्र मोदी को। राफेल सौदे के झूठ में घसीटने के लिए साजिश रची थी। उस दिन राफेल विवाद पर कांग्रेस ने देश भर में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने का फैसला किया था। दरअसल कांग्रेस ने योजना बनाई। कि राफेल मामले में जितना हो सके झूठ बोलो। ज़ोरज़ोर से बोलो और जितनी बार हो सके उतनी बार बोलो। इसी सिलसिले में प्रियंका चतुर्वेदी मथुरा में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने गई थीं। पहले प्रियंका का कार्यक्रम जिला कांग्रेस कमेटी के ऑफिस में होना था। पर नेताओं के आपसी झगड़े की वजह से इसे एक होटल में शिफ्ट कर दिया गया। फिर वहां प्रियंका चतुर्वेदी के साथ कुछ कार्यकर्ताओं ने बदसलूकी की। प्रियंका ने मामले की शिकायत कांग्रेस आलाकमान से की। इस पर कई कांग्रेस नेताओं पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई। उनको पार्टी से निष्कासित कर दिया गया।

और अब प्रियंका चतुर्वेदी के साथ की हुआ?

प्रियंका की हालिया नाराजगी की दो वजहें हैं। पहली उनको मुंबई उत्तर-पश्चिम से टिकट नहीं दिया गया। वह लोकसभा चुनाव लड़ना चाह रही थीं। मगर पार्टी ने यहां से संजय निरूपम को उम्मीदवार बना दिया। उनकी नाराजगी की दूसरी वजह बना उनके साथ बदसलूकी करने वाले नेताओं को निष्कासन खारिज करना। पार्टी ने हाल ही में उन सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं का निष्कासन रद्द कर दिया था, जिनको प्रियंका चतुर्वेदी की शिकायत पर पार्टी से निष्कासित किया गया था। फिलहाल उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर अपना परिचय भी बदल दिया है। और उन्होंने ट्विटर पर लिखा-

बड़े ही दुख की बात है। पार्टी मारपीट करने वाले बदमाशों को ज्यादा अहमियत देती है। बजाय उनके जो खून पसीने के साथ काम करते हैं। पार्टी के लिए मैंने अभद्र भाषा से लेकर हाथापाई तक झेली। फिर भी जिन लोगों ने मुझे पार्टी के अंदर धमकी दी। उनके साथ कोई भी ठोस कार्रवाई नहीं हुई। ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।

अब आगे क्या प्रियंका चतुर्वेदी क्या करेंगी?

मीडिया से ताजा रिपोर्ट्स मिली है। प्रियंका चतुर्वेदी शिवसेना में शामिल हो गयी। वैसे तो शिवसेना उत्तर पश्चिम मुंबई सीट से उम्मीदवार का ऐलान कर दिया। पार्टी ने यहां से गजानन कीर्तिकर को प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में प्रियंका चतुर्वेदी ने तर्क दिया। जिस सोच और विचारधारा को देखकर मैं कांग्रेस में शामिल हुई थी। वो अब ख़त्म हो चुकी है। कांग्रेस अब गुंडों और भैयाजियों की पार्टी बन चुकी है। जिसमे एक महिला के सम्मान के लिए कोई जगह नहीं। लेकिन मैं महिलाओं के सम्मान की रक्षा और उनके हक़ों के लिए हमेशा लड़ती रहूंगी। जहाँ तक मेरी सोच जाती है। फिलहाल मेरे लिए शिवसेना में शामिल होना ही उचित है। क्योंकि प्रियंका चतुर्वेदी सीधे-सीधे तो भाजपा में शामिल नहीं हो सकती। लेकिन शिवसेना ने बीजेपी के साथ गठबंधन किया हुआ है। अब समझदार को इशारा काफ़ी होता है।

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