जयपुर। आमतौर पर चुनाव में हारने के बाद प्रत्याशी को वो सम्मान नहीं मिला जो जीतने के बाद मिलता है। लेकिन राजस्थान के झुंझुनूं में एक अनोखा मामला सामने आया है। आपने अब तक पूर्व सरकारी कर्मचारियों और जनप्रतिनिधियों को पेंशन मिलने के बारे में तो सुना होगा। लेकिन किसी चुनाव में हारे हुये प्रत्याशी को कोई पेंशन दे। ऐसी अनूठी बात शायद आपने कभी नहीं सुना होगी। राजस्थान के झुंझुनूं जिले में अब ऐसा होने जा रहा है। यहां एक हारे हुए सरपंच प्रत्याशी को गांव वाले मिलकर प्रतिमाह 15 हजार रुपए पेंशन देंगे।

चुनाव हारने के बाद भी ग्रामीणों के दिलों करते है राज
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि झुंझुनूं के दोरासर पंचायत में सरपंच का चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी को ग्रामीणों ने ना केवल पांच लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी है, बल्कि उनकी हर माह 15 हजार रुपए पेंशन भी बांध दी है। मोबीलाल मीणा ने पिछल दिनों हुए पंचायत चुनाव में झुंझुनूं की दोरासर पंचायत से सरपंच का चुनाव लड़ा था। बदकिस्मती से वे चुनाव नहीं जीत पाए। मोबीलाल चुनाव भले ही हार गये हों, लेकिन वे आज भी ग्रामीणों के दिलों पर राज करते हैं। यही कारण है कि गांव के लोगों ने उन्हें सहायता देने का मन बना लिया है और उनके लिये हर माह 15 हजार रुपए की पेंशन शुरू कर दी है।

छोड़ दिया था राशन डीलर का काम
स्थानीय नागरीकों का कहना है कि पंचायत के वार्ड नंबर एक से निर्वाचित पंच ने बताया कि मोबीलाल मीणा पिछले 12 बरसों से गांव में राशन बांटने का काम रहे थे। लेकिन जब जनवरी 2020 में चुनाव की रणभेरी बजी थी तभी नामांकन के दौरान आपत्ति होने के कारण उन्होंने राशन डीलर का काम छोड़ दिया था। लेकिन अब अक्टूबर में जब चुनाव हुए तो वे चुनाव हार गए। वार्ड नंबर 2 के पंच प्रतिनिधि राजेश ओला ने बताया कि ग्रामीणों ने मोबीलाल मीणा को पांच लाख रुपए बतौर आर्थिक संबल देने के लिए दिए हैं। वहीं तय किया है कि हर माह उन्हें 15 हजार रुपए दिए जाएंगे ताकि उनका घर खर्च चल सके।

पहले भी रह चुके हैं सरपंच
मोबीलाल मीणा का कहना है कि वह पहले भी 1995 से 2000 तक गांव के सरपंच रह चुके हैं। इसके बाद वे 2008 से राशन डीलर का काम कर रहे थे। इससे उनका घर खर्च चल रहा था। इस बार फिर से पंचायत जब एसटी के लिए आरक्षित हुई तो ग्रामीणों की भावनाओं के कारण उन्होंने चुनाव लड़ा। लेकिन नियम कायदों के कारण उन्हें अपनी रोजी रोटी का साधन राशन डीलरशिप छोड़नी पड़ी। अब उन्हें खुशी है कि ग्रामीणों ने उनकी इतनी सहायता की। ग्रामीणों का कहना है कि जब तक मोबीलाल को कोई रोजगार नहीं मिल जाता है या फिर उनके परिवार में जब तक कोई रोजगार नहीं आता है तब तक उन्हें 15 हजार रुपए महीने के देेने का फैसला किया गया है।