लाल प्याज मंडी के नाम से मशहूर अलवर की प्याज मंडी में आवक शुरू हो गई है। पिछले वर्षों के मुकाबले जिले में इस बार प्याज की अच्छी पैदावार होने से मंडी में बंपर आवक हो रही है। अच्छी फसल होने से किसानों को दाम भी अच्छे मिल रहे हैं, जिसके किसानों के चेहरे खिल गए हैं। अलवर की यह प्याज मंडी राजस्थान की पहली प्याज मंडी के रूप में भी जानी जाती है। मंडी परिसर लाल प्याज के बोरों से भरा हुआ है। प्याज की कीमतों में उछाल होने से अलवर जिले के किसानों को इस बार उपज के अच्छे भाव मिल रहे हैं। यहां प्याज के थोक भाव भी 30 रूपए किलो तक बोले जा रहे हैं।
करीब 25 हजार कट्टों की हो रही रोज़ आवक:
जिले के कई क्षेत्रों में इस बार प्याज की अच्छी पैदावार होने से मंडी परिसर में प्याज के करीब 25 हजार बोरे प्रतिदिन पहुंच रहे हैं। प्याज की क्वालिटी अच्छी होने के कारण यहां प्याज के थोक भाव भी 25 से 30 रूपए किलो तक पहुंच गए है। इस बार पूरे अलवर जिले में 13 हजार हेक्टेयर से ज्यादा भूमि पर प्याज की खेती की गई है। जिले में खैरथल, किशनगढ़बास, रामगढ़, लक्ष्मणगढ़, मुण्डावर, तिजारा, राजगढ़, कोटकासिम और उमरैण क्षेत्र में प्याज की खेती की जाती है।
सर्दी में प्याज पैदावार वाला एकमात्र क्षेत्र: अलवर देश का एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जहां सर्दी के मौसम में प्याज की पैदावार होती है। अलवर जिले में प्याज की बुवाई जुलाई-अगस्त माह में की जाती है। अलवर की प्याज को देश व विदेश खैरथल की प्याज के नाम से जाना जाता है। जिले में सर्वप्रथम खैरथल में ही प्याज की खेती शुरू की गई थी। जिससे बाद अब यह जिले के हर हिस्से किया जाने लगा।
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इस साल 10 करोड़ किलो प्याज उत्पादन का अनुमान: इस साल अलवर जिले में कुल 10 हजार करोड़ किलो प्याज उत्पादन की संभावना जताई जा रही है। इस बार खास बात यह है कि किसानों को भुगतान भी नगद या चैक द्वारा किया जा रहा है। इससे पहले यह होता था कि दलालों के मार्फत ही प्याज की खरीद-फरोख्त होती थी। अलवर जिले के प्याज की मांग देशभर के अलावा पड़ोसी देश नेपाल, भूटान और बांग्लोदश तक है।