जब किसी व्यक्ति को अपने हक़ में न्याय के लिए भी दर-दर भटकना पड़े तो उस उस व्यक्ति के लिये लोकतंत्र सिर्फ एक आडम्बर ही होता है। एक समय था जब राजस्थान के किसानों को अपनी ही ज़मीन पर खेती करने के लिए स्वामित्व, खातेदारी अधिकार तथा उत्तराधिकार दिखाने के लिए राजस्व न्यायालयों के चक्कर कटाने पड़ते थे। वर्षों तक ये ज़मीनी मामले विभिन्न राजस्व न्यायालयों में लम्बित पड़े रहते थे। जिसमें आमजन की समय और पैसे की बर्बादी तो होती ही थी। साथ ही वो अपने खेतों में फसल भी पैदा नहीं कर पाते थे। जिससे राज्य के विकास और अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ता था। इस समस्या को जल्द और हमेशा के लिए समाप्त करने के लिए राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने न्याय आपके द्वार योजना कि शुरुआत की।
क्या है न्याय आपके द्वार योजना : –
जैसा की सर्वविदित है कि राजस्थान एक कृषि प्रधान प्रदेश है, जहाँ के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती ही है। इसलिए किसानों कि मुख्य समस्या भी राजस्व से सम्बन्धित ही होती है। लेकिन पहले की सरकारों में देखा गया कि राजस्व से जुड़ा मामलों को निपटने में एक लम्बा समय लगता था। इन सब दिक्कतों से किसानों को राहत देने के लिए ही न्याय आपके द्वार योजना कि शुरुआत की गयी। राजस्थानों के किसानों एवं ग्रामीणों को अपने स्वामित्व, खातेदारी अधिकार तथा उत्तराधिकार के झगड़ों और विवादों के विभिन्न राजस्व न्यायालयों में वर्षों से लम्बित चल रहे मुकदमों और उनसे आमजन को हो रही समय और पैसे की बर्बादी की असीम पीड़ा से छुटकारा दिलाने के लिए मुख्यमंत्री की पहल पर वर्ष 2015 से प्रत्येक वर्ष ग्रीष्म ऋतु में ‘राजस्व लोक अदालत अभियान न्याय आपके द्वार’ कार्यक्रम की शुरुआत की गयी।
एक ही जगह पर हाथों-हाथ न्याय : –
न्याय आपके द्वार अभियान के तहत ग्राम पंचायत मुख्यालय पर राजस्व लोक अदालतों के ज़रिये लाखों लम्बित राजस्व मामलों का निपटारा किया जाता है। जिससे आम व्यक्ति को राहत मिली है। न्याय आपके द्वार अभियान के अन्तर्गत राजस्थान काश्तकार अधिनियम के तहत दायर मुकदमों के अन्तर्गत लम्बित अपीलों, लम्बित राजस्व वादों, विभाजन, गैर खातेदारी से खातेदारी राजस्व अभिलेखों में लिपिकीय त्रुटियों का शुद्धिकरण, नए राजस्व ग्रामों के लिए नॉर्म्स के अनुसार प्रस्ताव तैयार करना, ग्राम पंचायत की राजस्व सम्बन्धी शिकायतों का चिन्हीकरण, सम्बन्धी कार्य निपटाये गये। इन शिविरों की विशेषता थी कि इनमें तहसीलदार, पटवारी, सरपंच व भू-प्रबंधन से जुड़े लोग एक ही जगह मौजूद होते हैं। जिससे किसी भी स्तर पर आवश्यक दस्तावेज़ शिविर में ही उपलब्ध हो जाते हैं। हर चरण की सुनवाई भी वहीं हो जाती हैं।
अब तक एक करोड़ 42 लाख मामलों का निपटारा : –
राज्य सरकार की मदद और जिला प्रशासन द्वारा इसके सफल क्रियान्वयन के लिए हर सम्भव प्रयास किये। न्याय आपके द्वार के पहले चरण में वर्ष 2015 में 16 हजार शिविरों लगाए गए, जिनमें 21 लाख 43 हजार से अधिक राजस्व मामलों का निस्तारण किया गया एवं 164 ग्राम पचायतों को राजस्व वाद से मुक्त किया गया। न्याय आपके द्वार अभियान का द्वितीय चरण 9 मई, 2016 से आरंभ किया गया जिसके अन्तर्गत राज्य भर में 12 हजार 387 शिविर लगाये गये जिनमें 48 लाख 46 हजार 54 मामलों का निस्तारण कर 431 ग्राम पंचायतों को राजस्व वाद से मुक्त घोषित किया गया। इस तरह कुल 523 ग्राम पंचायत राजस्व वाद से पूर्णतः मुक्त हो गयी है। अभियान के तीसरे चरण का आयोजन 8 मई 2017 से 15 जुलाई 2017 तक व चौथा चरण 1 मई 2018 से 30 जून 2018 तक किया गया। न्याय आपके द्वार अभियान के चार चरणों में कुल 1 करोड़ से अधिक राजस्व मामलों का सफलतापूर्वक निस्तारण कर लाखों लोगों को न्याय दिया गया।
राजस्थान के प्रत्येक व्यक्ति को मिलेगा न्याय : –
मुख्यमंत्रीवसुंधरा राजे ने इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए घोषणा भी की थी कि जिस जिले में सर्वाधिक गांव राजस्व मामलों से मुक्त होंगे उन्हें सरकार द्वारा अतिरिक्त सहायता दी जायेगी। ग्रामीण लोगों को न्याय दिलाकर उनकी जिन्दगी को आसान व बेहतर बनाने के लिए राज्य सरकार की इस नेक पहल की सराहना देश भर में की गयी। इस अभियान से लोकतांत्रिक शासन प्रणाली के महत्त्वपूर्ण अंग न्यायपालिका के प्रति लोगों का नजरिया बदला है। इससे कम समय में न्याय मिलने की उम्मीद को भी मजबूती मिली है। जहां पीढ़ियों से चले आ रहे राजस्व मामलों ने परिवारों में खटास पैदा कर दी थी, राज्य सरकार के इस अभियान ने लाखों परिवारों को आपसी समझाइश कर न्याय दिलवाया, उनके जीवन में खुशहाली लौटाई एवं सामाजिक सौहार्द का पैगाम भी दिया है। सरकार ये राजस्व लोक अदालत अभियान न्याय आपके द्वार तब तक आयोजित करती रहेगी जब तक राजस्व अदालतों में लम्बित मामले समाप्त नहीं हो जाते।
जनता का न्यायपालिका में विश्वास मजबूत हुआ : –
न्याय आपके द्वार शिविरों में बड़े स्तर पर राजस्व मामलों का निस्तारण हुआ। ज़मीन से जुड़े स्वामित्व, खातेदारी अधिकार, उत्तराधिकार के झगड़े, सीमाबंदी विवादों के लम्बित मामलों का समाधान इन शिविरों में हुआ। ना केवल कानूनी मुकदमों का समाधान हुआ बल्कि जमीन से जुड़े आपसी प्रकरणों का भी समझाइश द्वारा समाधान इन शिविरों में किया गया। न्याय आपके द्वार शिविर से लोगों को विश्वास हो गया कि सरकार दिव्यांगों के दुःखों दूर करने के लिए भी घर जाकर न्याय दिलवाती है। राज्य सरकार के ‘न्याय आपके द्वार’ अभियान से कई लोगों को तो 42 साल बाद अपनी जमीन की खातेदारी बिना किसी परेशानी के मिली। जिससे राजस्थान की जनता में ये विश्वास कायम हुआ कि प्रदेश के आम आदमी के लिए आज भी न्याय पालिका मौजूद है, जो उनके लिए न्याय करने में हर कदम पर उनके साथ है।