जयपुर। प्रदेश के सरपंचों के अधिकारों को लेकर अशोक गहलोत सरकार ने एक बार फिर स्थित साफ कर दी है। नए आदेश के अनुसार, अब सरपंच उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र जारी नहीं कर पाएंगे। उतराधिकारी प्रमाण पत्रों को लेकर बढ़ती शिकायतों को लेकर सरकार ने पंचायतीराज विभाग के जरिए एक आदेश जारी किया है। ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग की शासन सचिव व आयुक्त मंजू राजपाल द्वारा जारी आदेश में लिखा है कि प्रदेशभर में सरपंचों की ओर से लगातार उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र जारी किए जा रहे हैं।
सरंपचों को नहीं दिया गया ये अधिकार
आयुक्त मंजू राजपाल ने लिखा है कि पंचायतीराज अधिनियम 1984 व राजस्थान पंचायतीराज अधिनियम 1996 में सरंपचों को इस तरह का कोई अधिकार नहीं दिया हुआ है। इसके बाद भी प्रमाण पत्र जारी करने से विभाग के खिलाफ विभिन्न न्यायालयों में याचिका भी दायर भी हो रही थी। इसके बाद विभाग ने यह आदेश जारी किए है।
अब पटवारी कर सकेंगे जारी
नए आदेश के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में अब पटवारी ही उत्तराधिकारी प्रमाण पत्र जारी कर सकेंगे। इसके लिए ग्रामीणों को 50 रुपए के शपथ पत्र के आधार पर आवेदन करना होगा। पटवार घर में आवेदनों को ग्राम पंचायत की बैठक में रखा जाएगा। इस दौरान पहले संबंधित वार्ड पंच की ओर से सत्यापन किया जाएगा। वार्ड पंच की रिपोर्ट के आधार पर ग्राम पंचायत पटवारी को रिपोर्ट देगी। आखिर में प्रमाण पत्र पटवारी ही जारी करेंगे।
ये हैं सरपंच के कार्य
एक सरपंच एक पंचायत का मुखिया होता है। सरपंच सीधे अपनी पंचायत के भीतर चुने जाते हैं। सरपंचा या मुखिया का काम ग्राम सभा की बैठक बुलाना और उसकी अध्यक्षता करना होता है। ग्राम पंचायत का रिकॉर्ड रखना, वित्तीय और प्रशासनिक व्यवस्था की देखभाल करना और ग्राम पंचायत के कर्मचारियों, अधिकारियों (जो पंचायत से जुड़े काम में लगे हैं) के कामों पर प्रशासनिक नियंत्रण रखना भी सरपंच के काम में आता है।