जयपुर। राजस्थान में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सत्ता पक्ष कांग्रेस और विपक्ष पार्टी बीजेपी अपनी अपनी रणनीति और तैयारियों में जुट गई है। इन दिनों कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं में उम्र के तकाजे को लेकर बहस छिड़ी हुई है। दोनों ही दलों के नेता उम्र को लेकर पार्टियों की नीतियों के बीच से गलतियां निकाल रहे है और एक दूसरे पर हमला कर रहे है। दोनों ही पार्टियों के उम्रदराज बुजुर्ग नेता एक दूसरे पर हमलावर हो रहे हैं। इसके लिये पार्टियों की रीति नीतियों का हवाला दिया जा रहा है।
उम्र को लेकर बीजेपी में हैं दोहरे मापदंड : धारीवाल
गहलोत सरकार के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल चार दशक से राजनीति में सक्रिय हैं। वे 79 साल के हो गए है और उनके पिता भी मंत्री रह चुके हैं। आगामी चुनाव में धारीवाल 80 साल के हो जायेंगे। धारीवाल ने शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला का उदाहरण देकर कांग्रेस में एक नई बहस छेड़ दी। धारीवाल यहां तक बोल गये कि दो बार हारे हुए कल्ला को भी टिकट मिल सकता है। यहां जीतने वालों को टिकट मिलता है। धारीवाल बोले उम्र की सीमा तय कर करने वाली बीजेपी के दोहरे मापदंड हैं, वह एक तरफ कलराज मिश्र को बुजुर्ग करार देकर राज्यपाल बना देती है। वहीं दूसरी तरफ 75 साल के घनश्याम तिवाड़ी को राज्यसभा भेज देती है।
बीजेपी में 75 पार के नेताओं के लिए अलग भूमिका
शांति धारीवाल के इस बयान पर बीजेपी नेता घनश्याम तिवाड़ी से लेकर गुलाबचंद कटारिया तक ने पलटवार किया। हाल ही में राज्यसभा सांसद चुने गये तिवाड़ी बोले बीजेपी में 75 पार के नेताओं के लिए अलग भूमिका तय है। यहां परिवारवाद पर पार्टी नहीं चलती। तिवाड़ी ने कांग्रेस पर बरसते हुये कहा कि वह परिवारवाद से बाहर नहीं निकल सकती।
कटारिया बोले, पार्टी तय करेगी भूमिका
वहीं नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया बोले पार्टी उनके लिए जो भी भूमिका तय करेगी वह उन्हें मंजूर है। पार्टी में नये खून का स्वागत है। कटारिया ने कहा कि जो पार्टी युवा जोश को दरकिनार करती है वो लंबी नहीं चल सकती। हमें टिकट मिले या न मिले हम इसकी कभी चिंता नहीं करते। हमारे लिये पार्टी पहले है।