राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने प्रदेश के लाखों लोगों को न्यायालय में चल रहे वाद-विवादों को खत्म किया है। मुख्यमंत्री राजे का न्याय आपके द्वार- राजस्व लोक अदालत अभियान के जरिए गांव और शहरों को वाद मुक्त बनाया है। राजस्थान सरकार के प्रयास रहे है कि किसानों और ग्रामीणों को न्याय के साथ सम्मान के साथ जीवन का हक मिले। न्याय आपके द्वार- राजस्व लोक अदालत से अभी तक लाखों लोगों को बिना कोर्ट कचहरी के न्याय मिला है । शनिवार को जोधपुर हाई कोर्ट में एंव प्रदेशभर के अधीनस्थ न्यायालयों में राष्ट्रीय लोक अदालतें लगाई गई। इन अदालतों में राजीनामें के करीब 1 लाख 80 हजार मुकदमों को चिन्हित किया गया।
प्रदेशभर में एक लाख 80 हजार मुकदमों को किया चिह्नित
शनिवार को राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष एवं वरिष्ठ न्यायाधिपति के. एस झवेरी ने राजस्थान हाई कोर्ट की जयपुर पीठ में तीसरी राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्धाटन किया। इस मौके पर राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव एस.के.जैन ने बताया कि जोधपुर उच्च न्यायालय एवं प्रदेशभर के अधीनस्थ न्यायालयों में शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत लगाई गई। इसमें राजीनामा योग्य 1 लाख 80 हजार मुकदमे चिन्हित किए गए। उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय जयपुर पीठ के लिए लगभग 1 हजार 500 एवं राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर में लगभग 2 हजार मुकदमे रखे गए हैं। उन्होंने संभावना जताई कि अधिकतर मुकदमों का राजीनामे के द्वारा निस्तारण किया जाएगा।
राष्ट्रीय लोक अदालत करेगी मामलों में अंतिम निर्णय
जैन ने बताया कि लोक अदालत में पेंशन, सेवानिवृत्ति लाभ, एनआई एक्ट के मामले, पारिवारिक मामले, औद्योगिक विवाद, स्थानांतरण, पेंशन, चयनित वेतन श्रृंखला, केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण के आदेशों के विरुद्ध दायर याचिका, मोटर वाहन दुर्घटना अधिकरण के अवॉर्ड के विरुद्ध अपीलें, जेडीए से संबंधित विवाद, पैरोल व प्री-लिटिगेशन आदि से संबंधित प्रकरणों को शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत में लिए गए निर्णय अंतिम होने के साथ इस मुकदमे की अपील देश के किसी भी न्यायालय में नहीं हो सकती और यह अंतिम निर्णय होता है।