मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की महत्वकांक्षी मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान की पहल का ही नतीजा है कि डूंगरपुर जिले की अरावली की बिल्कुल पथरीली और बंजर दिखने वाली पहाडियां मेह बाबा की मेहर पर पहली ही बारिश में जलमग्न हो गई है। जिले में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के तृतीय चरण में हुए कार्यों के तहत बनी जल संरचनाओं को लबालब कर दिया परिणाम स्वरूप सूखी और बंजर पहाडियां जलमग्न नज़र आने लगी है और यह नज़ारे आमजन को सुकून दे रहे हैं। इसी पानी से यहां के किसानों के लिए खेती और पानी के पानी की समस्या अब सालभर के लिए हल हो गई है।
बता दें, डूंगरपुर जिले में मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के तृतीय चरण में 75 पंचायतों के 158 गांवों में 12 हजार 264 कार्य स्वीकृत हुए है। इनमें से 8 हजार 469 कार्य पूर्ण हो चुके हैं। इन कार्यों के तहत बनी एमपीटी, सीसीटी एवं अन्य जल संरचनाओं में सोमवार को हुई पहली बरसात के पानी का संग्रहण होने से यहां रहने वाले हर व्यक्ति के मन में सुकून और माननीय मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे के लिए आभार की भावना है।
पहले की कहानी थी बिलकुल उलट
राजस्थान के दक्षिण में स्थित अरावली पहाडियों के बीच छितराई बस्तियों की बसावट वाले डूंगरपुर जिले में पानी के बेहद कम जल स्त्रोतों की उपलब्धता एवं पहाड़ी बसावट के कारण सदा ही मेह बाबा की मेहरबानियों पर निर्भर रहना होता था। पानी की कमी का परिणाम था कि गर्मी के मौसम में जहां टैंकरों की बेहद मांग रहती थी वहीं कृषक केवल मानसून की ही फसल ले पाते थे। परंतुु प्रदेश मुख्यमंत्री वसुधंरा राजे द्वारा राजस्थान में पानी की कमी को सदा के लिए दूर करने के लिए शुरू की गई दूरदर्शी मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान योजना ने डूंगरपुर जिले की तस्वीर को ही बदल दिया है।
प्रथम एवं द्वितीय चरण रहा है प्रभावी
मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के प्रथम चरण में जिला डूंगरपुर में कृषि क्षेत्र में 4 हजार 584 हेक्टर और भू-जल स्तर में 4.8 मीटर की हुई वृद्धि दर्ज की गई है। प्रथम चरण के बाद बढ़े जल स्तर से 140 गांवों में पूर्व सुखकर बंद हो चुके 630 हेण्डपंपों में से 369 हेण्डपंप फिर से शुरू हो गए वहीं दो सौ से ज्यादा हेण्डपंप ऎसे है जिनमें वर्ष के केवल दो-चार महीने ही पानी आता था उसमें अब पूरे वर्ष पानी की उपलब्धता दर्ज की गई। साथ ही मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के पूर्व हर वर्ष गर्मी के मौसम में पानी के टैंकरों की होने वाली मांग में भी बेहद कमी आई है। योजना का एक सुखद पहलू ये भी रहा कि कृषक जो पूर्व में केवल एक फसल ले पाते थे अब पानी की उपलब्धता के कारण पूरे वर्ष फसल का फायदा उठा पा रहे है।
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