राजस्थान की माननीय मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे द्वारा चलाए गए मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान के बेहतर परिणाम अब सामने आने लगे हैं। इस अभियान में शामिल गांवों व शहरों में बारिश का जो पानी जमा हुआ है, अब लंबे समय तक पीने व खेती के लिए अतिरिक्त जल की आवश्यकता नहीं होगी। योजना के दो चरणों को मिली बेशुमार सफलता के बाद पिछले साल इसका तीसरा चरण भी शुरू हो गया है। कहना गलत न होगा, मुख्यमंत्री की दूरगामी सोच और बारिश के जल की एक-एक बूंद को सहज कर भूमि में समाहित करने की परिकल्पना अब साकार रूप लेने लगी है। अभियान के पहले चरण में 1270 करोड़ रुपये की लागत से करीब 94 हज़ार निर्माण कार्य पूरे किये गए। अभियान में बनी जल संरचनाओं से लम्बे समय के लिए पानी इकट्ठा हुआ है और गांव जल आत्मनिर्भर बने हैं।
क्या है मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान
गांवों में वर्षा का पानी बहकर बाहर जाने की बजाय गांवों के ही निवासियों, पशुओं और खेतों के काम आए, इसी सोच के साथ 27 जनवरी, 2016 से ‘मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान’ की शुरुआत की गई। बारिश के पानी की एक-एक बूंद को सहेजकर गांवों को जल आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाना इस अभियान का मूल उद्देश्य है। अभियान के अन्तर्गत चयनित गांवों में पारंपरिक जल संरक्षण के तरीकों जैसे तालाब, कुंड, बावड़ियों, टांके आदि का मरम्मत कार्य एवं नई तकनीकों से एनिकट, टांके, मेड़बंदी आदि का निर्माण कर पौधारोपण किया गया है।
तीन चरणों में 13 हजार गांवों को मिला पानी
मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान का पहला चरण 27 जनवरी, 2016 से 30 जून, 2016 तक चला जिसमें प्रदेश की 295 पंचायत समितियों के 3 हज़ार 529 गांवों का चयन किया गया। इन जल संरचनाओं के निकट 26.5 लाख से ज़्यादा पौधारोपण भी किया गया है। इन पौधों का अगले 5 सालों तक संरक्षण भी इस अभियान में शामिल है। इसमें भू-संरक्षण, पंचायतीराज, मनरेगा, कृषि, उद्यान, वन, जलदाय, जल संसाधन एवं भूजल ग्रहण आदि 9 राजकीय विभागों, सामाजिक धार्मिक समूहों एवं आमजन की भागीदारी सुनिश्चित की गई। अभियान के पहले चरण में 1270 करोड़ रुपए की लागत से करीब 94 हज़ार निर्माण कार्य पूरे हुए।
अभियान का दूसरा चरण 9 दिसम्बर, 2016 से शुरू हुआ जिसमें 4 हज़ार 200 नए गांवों का चयन किया गया व 66 शहरों (प्रत्येक ज़िले से 2) को भी अभियान में शामिल किया गया। शहरी क्षेत्रों में पूर्व में निर्मित बावड़ियों, तालाबों, जोहडों आदि की मरम्मत का कार्य किया गया। इस चरण में रूफ़ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के अलावा परकोलेशन टेंक भी बनाये गए हैं। इस चरण में 2100 करोड़ रुपए की लागत से जल संरचनाओं में सुधार कार्य करवाए गए हैं।
अभियान के तीसरे चरण की शुरूआत 9 दिसम्बर, 2017 से हो चुकी है जिसमें नए 4240 गांवों को शामिल किया गया है। इस अभियान के तहत आगामी वर्षों में राज्य के 21 हज़ार गांवों को लाभान्वित कर जल आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा है।
अभियान से मिले लाभ
वैसे तो मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान से मिले लाभों को पूरी तरह बता पाना थोड़ा मुश्किल है लेकिन सही मायनों में कहा जाए तो हजारों गांवों के ग्रामीणों को न केवल पानी का पानी नसीब हुआ है, अपितु सिंचाई की समस्या भी दूर हुई है।
इस योजना के तहत :—
- सतही स्त्रोतों में पानी जमा हुआ है।
- भूजल का स्तर बढ़ा है।
- पानी के बहाव से मिट्टी की ऊपरी सतह के बहाव को रोक दिया गया है जिससे मिट्टी की नमी बढ़ी है।
- खेती की पैदावार में बढ़ोतरी हुई है।
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