मोदी सरकार 2 में कार्यभार संभालने से पहले जनता और देश का अभिवादन करने केबिनेट मंत्री
मोदी सरकार 2 में कार्यभार संभालने से पहले जनता और देश का अभिवादन करने केबिनेट मंत्री

31 जनवरी 2019, लोकसभा चुनाव से साढ़े तीन-चार महीने पहले की बात है। अंग्रेजी अख़बार बिजनेस स्टैंडर्ड में बेरोज़गारी को लेकर एक ख़बर छपी। NSSO के आंकड़ों के हवाले से बताया कि देश में बेरोज़गारी की दर पिछले 45 सालों में सबसे ज़्यादा है। यानी 1972-73 के बाद 2017-18 में ही इतनी ज़्यादा बेरोज़गारी बढ़ी। रिपोर्ट छपने के बाद खूब हो हल्ला हुआ। विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह जानबूझकर इस आंकड़े को छिपा रही है। राहुल गांधी ने बेरोज़गारी के मुद्दे पर मोदी सरकार 2 को बहुत घेरा। चुनाव में बेरोज़गारी को मुद्दा बनाया, लेकिन बेरोज़गारी मुद्दा नहीं बन पायी।

ठीक चार महीने बाद 31 मई 2019, जब चुनाव बीत चुके हैं। परिणाम भी आ गए। मोदी सरकार 2 बन गयी। मंत्रालय भी बंट गए। मोदी कैबिनेट की पहली मीटिंग भी हो चुकी। इसी दिन केंद्रीय सांख्यिकी मंत्रालय ने कुछ डेटा जारी किया। डेटा में कहा गया है कि 2017-18 के दौरान देश में बेरोज़गारी दर 6.1 प्रतिशत थी, 6.1 फ़ीसदी। मतलब ये दर यह 45 सालों में सबसे अधिक थी। शहरों में बेरोज़गारी दर गांवों से अधिक है। 7.8 फीसदी शहरी युवा बेरोज़गार हैं। वहीं गांवों में ये आंकड़ा 5.3 फीसदी है।

महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में बेरोज़गारी अधिक है। पुरुषों में बेरोज़गारी की दर 6.2 प्रतिशत है। जबकि महिलाओं की बेरोजगारी दर 5.7 फीसदी है।

क्या है नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस की रिपोर्ट?

NSSO मतलब National Sample Survey Office report. कोई ऐसा-वैसा संगठन नहीं है। सरकारी संस्थान है, जो सांख्यिकी मंत्रालय के अंतर्गत आता है। देश में जो भी सरकारी सर्वे होते हैं, जो भी आंकड़े जुटाए जाते हैं, वो जुटाने का काम NSSO ही करता है।
बेरोजग़ारी सम्बन्धी NSSO की रिपोर्ट राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग ने पिछले दिसंबर 2018 में ही सरकार को दे दी थी। लेकिन सरकार ने इसे अब तक जारी नहीं किया था।

जब डाटा लीक हुआ तो मोदी सरकार ने क्या कहा था?

तत्कालीन केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा था…
पिछले पांच वर्ष में कोई बड़ा सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन ना होना, इस बात की ओर इशारा करता है कि सरकार की योजनाओं से रोज़गार पैदा हुए हैं।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने उस समय कहा था…

देश में बेरोज़गारी, 45 साल में सबसे ज़्यादा हो गई ऐसा कहने वाली रिपोर्ट सत्यापित नहीं है। अभी आंकड़ों की जांच की जा रही है।

ये जो डेटा लीक हुआ था ये इस बात का सबूत था कि देश में नोटबंदी के बाद रोज़गार के हालात कैसे हैं ?

मोदी सरकार ने डेटा पहले क्यों ज़ारी क्यों नहीं किया?

लोकसभा चुनाव सामने थे। विपक्ष बेरोज़गारी के मुद्दे पर सरकार को चारों और से घेर रहा था। विपक्ष आरोप लगाता रहा कि नोटबंदी के बाद बेरोजग़ारी बढ़ी है। लाखों-करोड़ों लोगों के रोज़गार छिन गए हैं। सरकार की यह रिपोर्ट विपक्ष के आरोपों को सही साबित कर रही थी। ऐसे में सरकार अपने ही संगठन की वैध रिपोर्ट कैसे जारी कर देती। इस रिपोर्ट के आने के बाद ये साफ़ हो जाता कि सरकार के अपने द्वारा लिए गए निर्णय गलत साबित हुए।

अब जब लोकसभा चुनाव ख़त्म हो गए। मोदी सरकार पूर्ण बहुमत के साथ फिर से सत्ता में आ गयी। विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के पास इतनी भी सीटें नहीं हैं कि वह मुख्य विपक्ष के नेता का तमगा पा सके। तो सरकार ने ये डाटा जारी कर दिए हैं। ऐसे में अब मोदी सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी लोगों को रोज़गार उपलब्ध कराना। अब देखते हैं की मोदी सरकार 2 इस चुनौती से कितना पार पा सकती है।

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